बात बोलेगी: स्मृतियाँ जब हिसाब मांगेंगीं…
एक ज़िंदगी कई घटनाओं का बेतरतीब संकलन होती है। हर रोज़ कुछ घटता है। उस घटने को लोग देखते हैं, महसूस करते हैं, उसके अच्छे-बुरे परिणाम भुगतते हैं। घटनाएँ बीत …
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एक ज़िंदगी कई घटनाओं का बेतरतीब संकलन होती है। हर रोज़ कुछ घटता है। उस घटने को लोग देखते हैं, महसूस करते हैं, उसके अच्छे-बुरे परिणाम भुगतते हैं। घटनाएँ बीत …
Read Moreसत्यम श्रीवास्तव का साप्ताहिक कॉलम
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Read Moreलबरा और दौंदा में से किसी एक को अपनी ताकत सिद्ध करना थी या मुक़ाबला उनके बीच होना था। यहां तो एक ही व्यक्ति में दोनों मौजूद हैं।
Read Moreबात तो करना ही पड़ेगी। बोलना तो पड़ेगा ही। बात बोलेगी भी और अपने समय के भेद भी खोलेगी और ज़ुबान पर चढ़ती जा रही बर्फ की मोटी सिल्लियों को पिघलाने का काम भी करेगी।
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