बात बोलेगी: स्मृतियाँ जब हिसाब मांगेंगीं…

एक ज़िंदगी कई घटनाओं का बेतरतीब संकलन होती है। हर रोज़ कुछ घटता है। उस घटने को लोग देखते हैं, महसूस करते हैं, उसके अच्छे-बुरे परिणाम भुगतते हैं। घटनाएँ बीत …

Read More

बात बोलेगी: ‘लोकल’ से ‘बोकल’ को समझने की एक कोशिश!

लबरा और दौंदा में से किसी एक को अपनी ताकत सिद्ध करना थी या मुक़ाबला उनके बीच होना था। यहां तो एक ही व्यक्ति में दोनों मौजूद हैं।

Read More

बात बोलेगी: भेद खोलेगी बात ही…

बात तो करना ही पड़ेगी। बोलना तो पड़ेगा ही। बात बोलेगी भी और अपने समय के भेद भी खोलेगी और ज़ुबान पर चढ़ती जा रही बर्फ की मोटी सिल्लियों को पिघलाने का काम भी करेगी।

Read More