
मंटो की ‘सॉरी’ से अलग है बैतूल पुलिस की ‘मिशटेक’
क्या बुंदेले की धार्मिक पहचान को लेकर भ्रम उतना ही बड़ा सच था, जितना कि वह मंटो की कहानी ‘सॉरी’ में है?
Read MoreJunputh
क्या बुंदेले की धार्मिक पहचान को लेकर भ्रम उतना ही बड़ा सच था, जितना कि वह मंटो की कहानी ‘सॉरी’ में है?
Read Moreइस तूफान के गुजरने के बाद जो तस्वीरें सामने आयी हैं वे दिल दहलाने वाली हैं
Read Moreहैरानी इस बात की है कि वे ख़बरों से ग़ायब क्यों हैं. वह भी उस वक़्त में जब देशभर में करोड़ो श्रमिक कोरोना से ज़्यादा भूख से तड़प रहे हैं
Read Moreक्या यह ऐसी परिस्थिति है जिसका हल व्यापार की सोच और भाषा से होगा?
Read Moreआखिर और कितने मासूमों की बली चढ़ेगी ताकि यह जाना जा सके कि मुल्क के अग्रणी शिक्षा संस्थानों में जातिगत एवं समुदाय आधारित भेदभाव बदस्तूर जारी है
Read Moreजितने भी सुविधा के साधन हमने ईजाद किए हैं इस दौरान वे सभी फेल हो गए हैं। पैसे से लेकर मशीनरी तक।
Read Moreजरूरत है कि हम ‘पैडमैन’ जैसी फिल्मों को राष्ट्रीय पुरस्कार मिलने पर ताली बजाने को ही अपनी आखिरी जिम्मेदारी न समझ बैठें
Read Moreकोरोना संकट में किसानों और उद्यमों के हाथ में नकद पैसा चाहिए। उनका माल बिके और मूल्य तुरंत मिले, इसकी व्यवस्था इस पैकेज में कहीं नहीं नज़र आती।
Read Moreहम यह देखने में चूक रहे हैं कि काम बंद नहीं हुआ है. बस अवैतनिक, अदृश्य और घर के भीतर महिलाओं द्वारा पहले की तुलना में कहीं ज़्यादा काम किया जा रहा है
Read Moreजब हरेक राज्य का मुख्यमंत्री दावा कर रहा है कि उसने हालात को बिल्कुल संभाल लिया है, तो स्थिति इतनी बेकाबू क्यों है
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