क्‍या बनारस से काशीनाथ सिंह की उम्‍मीदवारी वास्‍तविकता बन सकती है?


काशीनाथ सिंह 
मैं पूरी गंभीरता से एक सवाल या कहें खुला प्रस्‍ताव आप सब के सामने रख रहा हूं:

”क्‍या लेखक काशीनाथ सिंह को बनारस से नरेंद्र मोदी के खिलाफ़ कांग्रेसी/निर्दलीय उम्‍मीदवार बनाया जा सकता है?”

ज़रा इन बिंदुओं पर सोचिए… …

1. एक ओर जबकि पैराशूट से कुछ चमत्‍कारिक बाहरी उम्‍मीदवार बनारस में गिराए जा रहे हों, काशी की सांस्‍कृतिक-साहित्यिक पहचान का नाम काशीनाथ सिंह, मोदी विरोधी प्रतीक के तौर पर क्‍या बुरा है?

2. काशीनाथ जी ने बीबीसी के चढ़ाए गए इंटरव्‍यू पर जबकि अपनी सफ़ाई दे दी है, क्‍यों नहीं उन्‍हें ख़ुद आगे आकर यह ऐतिहासिक जि़म्‍मेदारी अपने कंधों पर लेनी चाहिए जो जितनी प्रतीकात्‍मक है उतनी ही वास्‍तविक भी? कम से कम दिग्विजय सिंह के कांग्रेसी प्रहसन से तो लाख गुना बेहतर?

3. क्‍या हिंदी का व्‍यापक साहित्यिक-सांस्‍कृतिक समाज बनारस की सेकुलर बौद्धिकता और ज्ञान की विरासत को बचाने हेतु खुद आगे आकर यह पहलकदमी करने की स्थिति में है?

4. क्‍यों नहीं प्रलेस, जलेस, जसम और तमाम लेखकीय मोर्चे एकजुट होकर काशीनाथ को निर्दलीय उम्‍मीदवार के तौर पर बनारस से परचा भरवा सकते हैं और संस्‍थानों में काम करने वाले सारे हिंदीजीवी अपनी एक माह की तनख्‍वाह काशीजी के प्रचार में लगा सकते हैं?

5. हिंदी लिखने-पढ़ने वाले व्‍यापक प्रगतिशील समाज के सामने क्‍या मोदी को रोकने से बड़ी ऐतिहासिक जिम्‍मेदारी कोई है फि़लहाल? अगर नहीं, तो यह प्रस्‍ताव क्‍या बुरा होगा?

बनारस में चुनाव 12 मई को है। समय पर्याप्‍त है। क्‍या इस प्रस्‍ताव पर विचार कर के, इसे आगे बढ़ा के, प्रसार कर के, एक सहमति बनाई जा सकती है? कांग्रेस नहीं, निर्दलीय सही। 

बस आखिरी बात यह समझ लेने की है कि काशीनाथ सिंह का बनारस से खड़ा होना पूरे पूर्वांचल के मतदान पैटर्न पर असर डाल सकता है क्‍योंकि राजनाथ सिंह ने बलिया से लेकर बनारस तक भाजपा के ठाकुर प्रत्‍याशियों की फसल खड़ी की हुई है। काशी का आना पूर्वांचल में भाजपा का जाना हो सकता है।

एक बार ज़रूर सोचिएगा।

सादर,
अभिषेक श्रीवास्‍तव 
Read more

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *