व्यालोक |
अब आ गया है देश में समाजवाद,
नहीं होता इस देश में कोई भी बड़ा,
हो गए हैं सभी बराबर,
बौने, छोटे और टुच्चे……….
अब यहां पनपते हैं केवल कुकुरमुत्ते,
नहीं होता कोई भी गुलाब,
या फिर ओल ही सही,
सब हैं कुकुरमुत्ते,
छोटे और बराबर……..
अब नहीं होता कोई,
तिलक, भगतसिंह, अंबेडकर या नेहरू भी,
होते हैं अब
अखिलेश, माया और राहुल
सभी बराबर, एक जैसे…..
देश में समाजवाद आ गया है……
नहीं होते अब,
प्रेमचंद, निराला, मुक्तिबोध या धूमिल भी
हो रहे हैं अब,
अ ब स……
सभी बराबर, एक ही जैसे…..
कहा न, देश में समाजवाद आ गया है……
नहीं होता अब,
हाजी मस्तान, अरुण गवली या दाउद इब्राहीम भी,
होते हैं अब,
दलाल सारे,
त्यागी, भाटिया, असगरी जैसे छुटभैए…
करते हैं जो बस उगाही….
सबके सब एक जैसे…..
समाजवाद जो आ गया है…….
नहीं होते अब,
चारु मजूमदार जैसे विप्लवी,
ऐतिहासिक परिवर्तनकामी….
हो रहे हैं अब,
अनाम, अज्ञात, तथाकथित माओवादी,
जिनकी जद में हैं…
वर्ग शत्रु के साथ ही,
निर्दोष, मासूम, सर्वहारा भी…..
यहां समाजवाद आया नहीं है…
लाया जा रहा है…..
नहीं होता अब,
कोई भी अनूठा या अकेला….
सभी बिल्कुल एक जैसे,
बराबर और बौने,
एक भीड़ का हिस्सा….
आखिर, देश में समाजवाद जो आ गया है…………………………
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सच कहा बन्धु वाकई " समाजवाद आ गया " जरूर मर्क्स की आत्मा को शांति मिल गई होगी
shaandaar kavita hai…haathi se aaye…ghora se aayi..samaajwad