जाति की सलीब पर कवि को टाँगे जाने के विरुद्ध: दिवाकर मुक्तिबोध से एक संक्षिप्त संवाद
दिवाकर मुक्तिबोध को मैंने फोन लगाया, हालांकि वो नहीं चाहते थे कि इस पर कुछ लिखूं या विवाद को और तूल दिया जाए या फिर मुक्तिबोध को जाति की सलीब पर लटका दिया जाए लेकिन चूंकि यह ज़रूरी है इसलिए दिवाकर मुक्तिबोध से माफ़ी सहित, उनसे हुई बातचीत यहां जस का तस प्रकाशित कर रहा हूं।
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