तिर्यक आसन: भला-चंगा पगुराता विमर्शकार और बीमार विमर्श

पहले वक्ता के रूप में जैसे ही सुधारक ने माइक थामी, लगा जेठ की दोपहर में तपते वन पर रिमझिम-रिमझिम, रुमझुम-रुमझुम होने लगी। बारिश के इंतजार में भूमिगत हुए दादुर टर्राते हुए बाहर आ गए।

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तिर्यक आसन: उसी को हक़ है जीने का जो इस ज़माने में, इधर का लगता रहे और उधर का हो जाए!

कर्ज लेना भी एक उपलब्धि है। बशर्ते कि कर्ज लाखों-करोड़ों में हो। उसी कर्ज से खरोंच, फ्रैक्चर बन जाती है। कर्ज अगर बैंक की कृपा से एनपीए घोषित हो जाये, तो खरोंच, सेप्टिक जितनी घातक हो सकती है। टाँग काटने की नौबत आ सकती है। ऐसी खरोंच राष्ट्रीय ब्रेकिंग बनेगी- ध्यान से देखिए…।

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तिर्यक आसान: जुगाड़ीज़ फ्रॉम सिएमा विन डिजाले! या या या…

फंडिंग के स्रोत का पता चलने के बाद, हो सकता है अजीत डोभाल सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दें- किसानों को फंड धरती दे रही है। हलफनामे के आधार पर सुप्रीम कोर्ट धरती को अदालत में हाजिर होने की तारीख मुकर्रर कर दे। दो-तीन तारीखों पर हाजिर न होने पर अदालत अपनी अवमानना मान धरती की कुर्की का आदेश सुना दे।

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तिर्यक आसान: आपका गौरव तो आर्थिक उदारीकरण के समय से ही ठंडा हो चुका है!

आज का विषय है- गौरव। घर का गौरव। क्षेत्र का गौरव। जिले का गौरव। प्रदेश का गौरव। देश का गौरव। गॉडफादर बनने का गौरव। गॉडमदर बनने का गौरव। सबसे बड़ा- पांडुलिपि की तकिया का गौरव।

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तिर्यक आसन: फ़ोटो-पोस्टर में जीवन काटती कमबलियों की आवारा फौज

आवारा फौज के कुछ सदस्य भोजन करने जाते हैं, अछूतों के घर। जब वे अछूतों के घर भोजन करने जाते हैं, तब अखबार में उनकी उदारता, सहिष्णुता के फोटो आते हैं। अगले दिन ‘फैक्ट चेक’ भी आता है- भोजन बाहर से मंगवाया गया था।

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तिर्यक आसन: परिवार और सामुदायिकता में लगा परजीवी स्टेट का कीड़ा

अपने प्रतिनिधियों की सरकार और अपने आविष्कारों पर जनता की निर्भरता देख स्टेट चिंतामुक्त हो गया है। हमारी चेतना पर वो तमाम पट्टियाँ बाँध चुका है। एक पट्टी खुलती है, तब तक राजनीति और धर्म के प्रतिनिधियों के सहयोग से नई पट्टी बाँध देता है।

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तिर्यक आसन: विश्वगुरु इंजीनियर्स का डीएनए टेस्टिंग लैब और ‘छोड़िए’ का दर्शन

हमने सदियों पहले ही दिमाग वाली मशीन बना ली है। हमारे यहाँ वो मशीनें आदम कही जाती हैं। आदम मशीनों के समूह में कोई आदम जाता है, तो मशीनें चिल्लाने लगती हैं- मारो, राक्षस आया। मशीन जाती है, तो स्वागत होता है- भाई आया। भाई आया।

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तिर्यक आसन: कवि प्रोफेसर डॉक्टर मौलिक जी और उनके चार अंगरक्षक

चुम्बक सिर्फ धातुओं को आकर्षित करता है। स्वार्थ ऐसा शक्तिशाली चुम्बक है जो हाड़-माँस से बने आदमियों को एक दूसरे से जोड़े रखता है। सात जन्मों की गाँठ सात दिन में टूट सकती है; स्वार्थ की गाँठ स्वार्थ की सिद्धि होने के बाद टूटती है।

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तिर्यक आसन: प्रौढ़ों के सेटलमेंट और नवढ़ों के स्‍टार्ट-अप वाला ‘न्यू इंडिया’ वाया बनारस

अमुक धर्म खतरे में है भी एक व्यवसाय है। स्टार्ट-अप का एक रूप है। इस व्यवसाय के माध्यम से जो सेटल हुए हैं, जिनको रोजगार मिला है, उनकी ठीक-ठीक संख्या बता पाना मुश्किल है क्योंकि इस स्टार्ट-अप से सेटल होने वालों की संख्या स्थिर होने का नाम ही नहीं ले रही।

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तिर्यक आसन: ‘हिन्दू खतरे में’ का लिंक और आहत देव का प्रसाद

उनकी एक दुकान है- मेंस सलोन। दुकान के बाहर नवढ़ों को वे ‘’हिंदू खतरे में है’’ का लिंक देते हैं। दुकान के अंदर मुसलमान कारीगरों से बाल-दाढ़ी बनवाते हैं। फेशिअल, ब्लीच कराते हैं। मसाज भी कराते हैं।

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