छान घोंट के: लॉकडाउन से बदरंग हुए बनारस में जन पत्रकारिता का एक साहसी दस्तावेज़

लॉकडाउन के दौरान इसी जरूरत और ज़मीनी हकीकत को समझाने वाली वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत की हाल ही में प्रकाशित किताब है “बनारस लॉकडाउन”, जो बताती है कि लॉकडाउन के 75 दिनों की जिंदगी क्या रही।

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छान घोंट के: चितरंजन सिंह का अर्थ है मानवाधिकार में सबसे आखिरी व्यक्ति के साथ खड़े होना

इस संवाद के अंत में उन्होंने दो बातें कहीं थीं. एक, अंतिम आदमी के लिए लड़ने वाले लोगों के अधिकार के लिए लड़ना और उसे किसी भी हालत में अकेला नहीं छोड़ना ही आन्दोलन की मज़बूत बुनियाद को कायम करेगा. दूसरी बात यह थी कि अपनों को मुसीबत में छोड़ना आन्दोलन के साथ गद्दारी है.

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छान घोंट के: मानसिक अवसाद के राजनैतिक मायने और कुछ सहज उपाय

अपने भीतर मित्रों के प्रति मित्रतापूर्ण संघर्ष और शत्रुओं (जो अवसाद को पैदा करने के बुनियादी कारण हैं) के खिलाफ शत्रुतापूर्ण संघर्ष को चलाये रखना सबसे ज़रूरी है

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छान घाेंट के: ग्वांगजू जन-विद्रोह की याद क्यों ललकार रही है आज…

भारत को अपने जन विद्रोहों पर जन स्मारक बनाने और जन स्मृतियों में लाने का काम दक्षिणी कोरिया से सीखना चाहिए

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