‘न्यू-इंडिया’ का तिलिस्म और गाँधी का ग्राम-स्वराज

राष्ट्र निर्माण के लिए गाँधी ने ग्राम केन्द्रित नीतियों को प्राथमिकताओं देने की बात की थी, लेकिन अतीत में झांकें तो हम देखते हैं उनके आर्थिक-विचारों को सरकारी नीतियों में उतारने की पहल पहले भी ठीक से नहीं की गयी। नेहरू और आंबेडकर ने भी गाँधी के आर्थिक विचारों को पिछड़ा हुआ माना और आजाद भारत के लिए नगर केन्द्रित औद्योगिक विकास का मॉडल तैयार किया। नेहरू ने गाँव को पिछड़े और अंधविश्वास में मगन एक जनसमुदाय के रूप में देखा तो वहीं आंबेडकर ने इसे जातीय दुष्‍चक्र में धंसी दमनकारी इकाई से अधिक कुछ भी नहीं माना।

Read More

विश्व-गुरु बनने के दावों के बीच उच्च शिक्षा संस्थानों का सैन्यकरण

राजनीतिक संस्थाओं ने संसद में मूल्यों के क्षरण पर तो कोई नियम या कानून नहीं बनाया, लेकिन उसने मान लिया कि शिक्षण संस्थानों में ही मूल्यों और संस्कारों की कमी हो गयी है।

Read More