भारत की जेलों में कैद औरतों की अनकही कहानियां

आज़ादी का ख्वाब दिल में पाले देश की जेलों में कैद महिलाओं की अनगिनत कहानियां हैं। इनमें से कितनी गुनाहगार हैं और कितनी बेगुनाह हैं, यह आमतौर पर कानून नहीं, बल्कि पुलिस के गढ़े गये सबूतों के साथ-साथ समाज और अदालतों का पितृसत्तात्मक नज़रिया तय करता है।

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मिलायी की पर्ची के इंतज़ार में साल भर से खामोश कैदियों के लॉकडाउन पर कब बात होगी?

क्या हम जेल बन्दियों के अधिकारों को जानते-समझते हुए भी खामोश रहें? हम इसलिए न बोलें कि कि हमें जेलों में ठूंस दिया जाएगा? जेल बंदियों की मिलायी पर जब पूरी तरह रोक लगी हुई है, इन परिस्थितियों में उनकी जो बुनियादी ज़रूरतें हैं इस पर ध्यान दिया जाना आज फौरी ज़रूरत है।

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