संवैधानिक मूल्यों का प्रसार और बंटे हुए दिमाग की दिक्कतें: आत्म-निरीक्षण के लिए कुछ बिन्दु

संवैधानिक मूल्यों पर अपने ऊपर काम करने की प्रक्रिया में अपने भीतर बैठे बंटवारे/पहचानों को संबोधित करना ही सबसे जरूरी बात है। ‘हम’ बनाम ‘वे’ का बंटवारा हल किये बगैर मूल्‍यों के रास्‍ते पर कोई भी आगे नहीं बढ़ सकता। इसलिए अनुभव के रास्ते मूल्यों को आत्‍मसात करने का काम और अपने भीतर के बंटवारों को संबोधित करने का काम एक साथ चलाया जाना चाहिए।

Read More

पत्रकारिता @2021: निरंकुश सत्ताओं के बर्बर उत्पीड़न के बीच अदम्य साहस की गाथाएं

सीपीजे ने 1 दिसंबर 2021 तक ऐसी 19 हत्‍याओं को दर्ज किया है जिसमें पत्रकारों को उनके काम के बदले में मारा गया। इसमें शीर्ष स्‍थान भारत का रहा जहां चार पत्रकार अपने काम के चलते मारे गए। एक और की मौत एक प्रदर्शन कवर करने के दौरान हुई। कुल छह हत्‍याएं भारत में दर्ज की गयीं जिसके बाद पत्रकारिता के लिए चार सबसे खराब देशों में भारत का नाम भी शामिल हो गया।

Read More

मंगलेश डबराल का घोंसला और लोक संस्कृति की मृत चिड़िया

मंगलेश जी के पास पहाड़ी राग से लेकर मारवा और भीमपलासी सब कुछ था। उनके पास बिस्मिल्‍लाह खान की शहनाई थी। उनके पास पहाड़ी लोकगीत थे। वे ‘नुकीली चीजों’ की सांस्‍कृतिक काट जानते थे लेकिन उनका सारा संस्‍कृतिबोध धरा का धरा रह गया क्‍योंकि उन्‍होंने न तो अपने पिता की दी हुई पुरानी टॉर्च जलायी, न ही दूसरों ने उनसे आग मांगी। वे बस देखते रहे और रीत गए। उन्‍होंने वही किया जो दूसरों ने उनसे करवाया। कविताओं में वे शिकायत करते रहे और बाहर मुस्‍कुराते रहे, सड़कों पर तानाशाह के खिलाफ कविताएं पढ़ते रहे।

Read More

निर्वासन में पत्रकारिता का उत्कर्ष: मिज्जिमा, सो मिंट और थिन थिन आंग

म्‍यांमार में पत्रकार थिन थिन आंग को गिरफ्तार हुए आज पूरे दस दिन हो चुके हैं। जो लोग थिन थिन आंग को नहीं जानते उनका कोई कुसूर नहीं, लेकिन म्‍यांमार की तानाशाह सरकार द्वारा उन्‍हें उठाए जाने पर दिल्‍ली के पत्रकार संगठनों में पसरी चुप्‍पी चौंकाने वाली है जहां प्रवास में एक दशक रहकर आंग और उनके पति सो मिंट ने म्‍यांमार की लोकतंत्र की लड़ाई अपनी कलम से लड़ी है।

Read More

नक्सलबाड़ी का भुला दिया गया परिवार, BJP के ‘मिशन बंगाल’ पर जिसका नमक है उधार!

’मिशन बंगाल’’ की 25 अप्रैल, 2017 को शुरुआत के हफ्ते भर भीतर ही अखबारों ने रिपोर्ट किया कि राजू-गीता ने टीएमसी ज्‍वाइन कर लिया है। अखबारों ने यह भी लिखा था कि ये दोनों पहले भाजपा के कार्यकर्ता थे। चार साल बाद इनसे मिलने पर समझ आता है कि न ये भाजपा के थे, न कभी टीएमसी के रहे।

Read More

हिन्दुत्व के जनक तो हुगली में हुए, फिर सावरकर की फोटो लगाकर संघ क्या जाली हिन्दुत्व बेचता रहा?

यह बार-बार कहा जाने वाला झूठ है कि हिंदुत्‍व के जनक विनायक दामोदर सावरकर थे। जब चंद्र नाथ बसु हिंदुत्‍व पर किताब लिख रहे थे, तब हिंदू महासभा और बाद में राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ की बुनियाद डालने वाले महान व्‍यक्तित्‍वों में वरिष्‍ठतम बीएस मुंजे 20 साल के थे, सावरकर महज नौ साल के थे, हेडगेवार तीन साल के थे और गुरु गोलवलकर तो पैदा भी नहीं हुए थे।

Read More

कच्छ के सिख किसान तो 15 तारीख को विरोध कर रहे थे, फिर PM के साथ बैठक में कौन था?

15 दिसंबर को कच्‍छ में जो बैठक हमें प्रधानमंत्री और पीड़ित सिख किसानों के बीच की बतायी गयी, वह दरअसल एक सुप्रीम नेता और उसके कार्यकर्ताओं के बीच की सामान्‍य शिष्‍टाचार बैठक थी।
इस बैठक का न तो किसान कानूनों से कोई लेना देना था, न ही कच्‍छ में बसे सिख किसानों की समस्‍या से।

Read More

ये सात दिन: किसानों के राजनीतिक आंदोलन में रामलीला मैदान के निरंकारी प्रेत की वापसी

आंदोलन आगे भी ले जाते हैं, पीछे भी। ऊपर भी ले जाते हैं, नीचे भी। मौजूदा आंदोलन केवल किसानों का आंदोलन नहीं है, इस मुल्‍क के मुस्‍तकबिल को तय करने का आंदोलन है। अब खतरा इस बात का है कि इसे किसानों की एक अदद मांग तक लाकर न पटक दिया जाय।

Read More

स्मृतिशेष: मुन्ना मारवाड़ी चले गए, काशी अब ‘बाकी’ नहीं है

यह विस्‍थापन सामान्‍य नहीं था। मुन्‍ना मारवाड़ी का पूरा अस्तित्‍व ही विस्‍थापित हो चुका था। मुन्‍नाजी को अब अदालत से भी कोई उम्‍मीद नहीं रह गयी थी। वे बस बोल रहे थे, बिना कुछ खास महसूस किए। मैं उनकी आंखों में देख रहा था, बिना कुछ खास सुने।

Read More

कमल शुक्‍ला पर हमले को हिंदू-मुस्लिम रंग देकर दंगा-फ़साद के चक्‍कर में थी भाजपा और आरोपी!

कमल शुक्‍ला फिलहाल रायपुर के बूढ़ातालाब धरनास्‍थल पर आमरण अनशन कर रहे हैं। उन्‍हें अनशन पर बैठे चौबीस घंटा हुआ है और उनकी हालत स्थिर है, लेकिन वे मौजूदा हालात से बहुत निराश और क्षुब्‍ध हैं। उन्‍हें इस बात की शिकायत है पत्रकार सतीश यादव पर हमले की बात को जातिवादी लोगों ने गोल कर दिया और उन पर हमले को लेकर जांच समिति बना दी।

Read More