कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस (सी3एस) ने आज ऐलान किया कि सितंबर 2020 दुनिया में अब तक का सबसे गर्म सितंबर रहा। सितंबर 2020 पूरी दुनिया में सितंबर 2019 के मुकाबले 0.05 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म रहा। जिससे इस तरह इस बीच, साइबेरियन आर्कटिक में तापमान में सामान्य से ज्यादा की बढ़ोत्तरी जारी रही और आर्कटिक सागर पर बर्फ का आवरण दूसरे न्यूनतम स्तर पर पहुंच गया।
सी3एस के विश्लेषण से मिले डाटा से जाहिर होता है कि सितंबर 2020 मानक 30 वर्षीय जलवायु संदर्भ अवधि के तहत सितंबर में दर्ज किए गए औसत तापमानों के मुकाबले 0.63 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। इस तरह सितंबर 2019 के मुकाबले इस साल इसी महीने में तापमान 0.05 डिग्री सेल्सियस और सितंबर 2016 के मुकाबले 0.08 डिग्री सेल्सियस ज्यादा रहा। इससे पहले सितम्बर 2019 सबसे गर्म सितम्बर रहा, जबकि वर्ष 2016 में गुजरा सितंबर दूसरा सबसे ज्यादा गर्म सितम्बर रहा। सी3एस को यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट (ईसीएमडब्ल्यूएफ) द्वारा यूरोपीय कमीशन की ओर से लागू किया गया है। यह यूरोपीय तथा वैश्विक स्तर पर तापमानों की निगरानी करता है।
पूरे यूरोप में भी सितंबर में औसत तापमान रिकॉर्ड स्तर पर पहुंच गया। यह इससे पहले सबसे गर्म सितंबर के तौर पर दर्ज किए गए वर्ष 2018 के इसी महीने के मुकाबले 0.2 डिग्री सेल्सियस ज्यादा गर्म रहा। महाद्वीप के ज्यादातर इलाकों में सितंबर में दर्ज तापमान औसत से ज्यादा रहा। खासतौर से दक्षिण पूर्वी यूरोप में।
सी3एस के वैज्ञानिकों ने यह भी जाहिर किया कि अब तक के सबसे गर्म साल के तौर पर दर्ज किए गए वर्ष 2016 में और 2020 में ईयर टू डेट आंकड़ों के लिहाज से इस वक्त बहुत थोड़ा सा अंतर दिखाई दे रहा है। इसका मतलब यह है कि इन दोनों वर्षो में एक जनवरी से 30 सितंबर के बीच औसत वैश्विक तापमान विसंगतियां बहुत मिलती-जुलती हैं। वर्ष 2019 के मुकाबले 2020 ज्यादा गर्म है। अब ला नीनो जैसे जलवायु पैटर्न यह तय करेंगे कि क्या वर्ष 2020 अब तक का सबसे गर्म साल बन जाएगा। साइबेरियन आर्कटिक में सितंबर माह में तापमान में सामान्य से ज्यादा बढ़ोत्तरी का सिलसिला जारी है। इससे तपिश का क्रम बरकरार है और इसकी वजह से वसंत की शुरुआत से ही एक बहुत बड़े क्षेत्र के विभिन्न हिस्सों पर असर पड़ा है। हालांकि साइबेरिया और आर्कटिक में साल दर साल तापमान में बड़े उतार-चढ़ाव आते हैं लेकिन अध्ययन से यह पता चला है कि इस साल दर्ज की गई सापेक्ष तपिश अपने पैमाने और दृढ़ता के मामले में अभूतपूर्व है।
सी3एस हर महीने समुद्री बर्फ की भी निगरानी करता है और उसके डेटा से इस बात की पुष्टि होती है कि सितम्बर में आर्कटिक सागर में जमी बर्फ के क्षेत्रफल में दूसरी सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी है। वर्ष 2012 में सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गयी थी। वर्ष 1979 में सेटेलाइट से निगरानी का सिलसिला शुरू होने के बाद से आर्कटिक में समुद्री बर्फ के क्षेत्रफल में खासी कमी आयी है। बर्फ के दायरे में गिरावट का यह रुख साल के सभी महीनों में देखा जा सकता है लेकिन खासकर सितम्बर के महीने में बर्फ का यह आवरण साल के न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाता है। जलवायु सम्बन्धी कारकों की वजह से समुद्री बर्फ का खालिस वार्षिक चक्र वसंत की शुरुआत से ही शुरू होकर गर्मियों के अंत तक चलता है, जब हिमावरण अपने न्यूनतम स्तर पर पहुंच जाता है। आमतौर पर ऐसा सितम्बर में होता है। उसके बाद बर्फ का आवरण फिर से बढ़ने लगता है और सामान्यत: मार्च तक यह उच्चतम स्तर पर पहुंच जाता है।
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस के निदेशक कार्लो बुओटेम्पो ने बताया ‘‘वर्ष 2020 के जून और जुलाई के महीनों में आर्कटिक सागर पर बर्फ की परत में अभूतपूर्व गिरावट देखी गई है। यह गिरावट उन्हीं इलाकों में हुई है जहां सामान्य से ज्यादा तापमान दर्ज किया गया है। इसकी वजह से इस साल खास तौर पर बर्फ के आवरण में कमी आई है। रिकॉर्ड गर्मी और आर्कटिक सागर में बर्फ की मात्रा में गिरावट को मिलाकर देखें तो इससे जाहिर होता है कि दुनिया में सबसे तेजी से गर्म हो रहे क्षेत्र में और अधिक व्यापक तथा बेहतर निगरानी कितनी जरूरी है।’’
कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस द्वारा प्रतिमान तापमान सारांश
वर्ष 1981 2010 की अवधि में सितंबर के औसत के सापेक्ष सितंबर 2020 में सतह की वायु के तापमान में विसंगति। डेटा स्रोत ईआरए5 क्रेडिट : कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस/ ईसीएमडब्ल्यूएफ
सी3एस हर महीने जलवायु संबंधी बुलेटिन प्रकाशित करता है, जिसमें वैश्विक सतह वायु तापमान तथा जलवायु को प्रभावित करने वाले अन्य अन्य कारकों में होने वाले बदलावों का जिक्र किया जाता है। प्रकाशित किए जाने वाले सभी तथ्य कंप्यूटर जेनरेटेड अध्ययनों पर आधारित होते हैं। इन अध्ययनों के लिए सेटेलाइट, पानी के जहाज, विमान तथा दुनिया भर में स्थित मौसम केंद्रों से मिलने वाले अरबों पैमानों का इस्तेमाल किया जाता है।
सितंबर 2020 में सरफेस एयर टेंपरेचर :
- यूरोप में और वैश्विक स्तर पर सितंबर 2020 अब तक का सबसे गर्म सितंबर रहा। यह वर्ष 2019 के सितंबर के मुकाबले 0.05 डिग्री सेल्सियस से ज्यादा गर्म रहा।
- दुनिया भर के अनेक क्षेत्रों में तापमान सामान्य से काफी ज्यादा रहा। इनमें उत्तरी साइबेरिया के तट से दूर इलाके पश्चिम एशिया के क्षेत्र और दक्षिण अमेरिका तथा ऑस्ट्रेलिया के इलाके शामिल हैं।
- पूर्वी इक्वेटोरियल प्रशांत महासागर में औसत से ज्यादा ठंड रही जो ला नीनो के अनुरूप है।
सितंबर में जलवायु में बदलाव संबंधी अधिक जानकारी और पिछले महीनों के दौरान हुए जलवायु संबंधी अपडेट और हाई रेजोल्यूशन ग्रैफिक्स के लिए यहां क्लिक करें
https://climate.copernicus.eu/monthly-climate-bulletins
आर्कटिक सागर की बर्फ और तापमान के बारे में और अधिक जानकारी यहां पायी जा सकती है:
https://climate.copernicus.eu/september-record-breaking-warm-temperatures-low-sea-ice
सी3एस डेटा सेट और उसके एकत्रीकरण के तरीके के बारे में अधिक जानकारी के लिये यहां क्लिक करें :
https://climate.copernicus.eu/climate-bulletin-about-data-and-analysis
ईसीएमडब्ल्यूएफ और कॉपरनिकस के बारे में :
कॉपरनिकस यूरोपीय यूनियन का एक ध्वज वाही अर्थ ऑब्जर्वेशन प्रोग्राम है जो छह थीम पर काम करता है। इन थीम में पर्यावरण, समुद्र, धरती, जलवायु परिवर्तन, सुरक्षा और इमरजेंसी शामिल है। यह उपयोगकर्ताओं को सर्वसुलभ संचालनात्मक डेटा और सेवाएं उपलब्ध कराता है। इनसे हमारी धरती और उसके पर्यावरण से जुड़ी भरोसेमंद और ताजातरीन जानकारी मिलती है। इस कार्यक्रम का प्रबंधन और संयोजन का काम यूरोपियन कमीशन करता है और यह कार्यक्रम मेंबर स्टेट्स और यूरोपियन स्पेस एजेंसी यूरोपियन ऑर्गेनाइजेशन फॉर द एक्सप्लोइटेशन ऑफ मेटियोरोलिजकल सेटेलाइट (ईयूएमएटीएसएटी), यूरोपीयन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट (ईसीएमडब्ल्यूएफ), ईयू एजेंसीज एंड मर्केटर ओशन तथा अन्य की साझीदारी से लागू किया जाता है।
ईसीएमडब्ल्यूएफ यूरोपीय यूनियन के कॉपरनिकस अर्थ ऑब्जर्वेशन प्रोग्राम की दो सेवाओं को संचालित करता है : यह सेवाएं कॉपरनिकस एटमॉस्फेयर मॉनिटरिंग सर्विस और कॉपरनिकस क्लाइमेट चेंज सर्विस हैं। वे कॉपरनिकस इमरजेंसी मैनेजमेंट सर्विस में भी योगदान करती हैं। द यूरोपियन सेंटर फॉर मीडियम रेंज वेदर फोरकास्ट एक स्वतंत्र अंतर शासकीय संगठन है जिसे 34 राज्यों का समर्थन हासिल है। यह एक अनुसंधान संस्थान होने के साथ-साथ चौबीसों घंटे उपलब्ध होने वाली संचालनात्मक सेवा भी है। यह अपने सदस्य राज्यों को मौसम संबंधी अंकगणितीय अनुमान उपलब्ध कराती है। सदस्य राज्यों में यह डाटा राष्ट्रीय मौसम वैज्ञानिकी सेवाओं को पूरी तरह उपलब्ध है। ईसीएमडब्ल्यूएफ में उपलब्ध सुपर कंप्यूटर सुविधा और संबंधित डाटा आर्काइव यूरोप में अपनी तरह की सबसे बड़ी सुविधा है और सदस्य राज्य इसकी क्षमता का 25% हिस्सा अपने काम के लिए इस्तेमाल कर सकते हैं।
Climateकहानी के सौजन्य से