भारत छोड़ो आंदोलन की वर्षगांठ: रिहाई, कमाई, दवाई, पढ़ाई पर आज लोकतंत्र बचाओ दिवस


लखनऊ 8 अगस्त 2020: 9 अगस्त को ‘कारपोरेट भगाओ-किसान बचाओ’ के नारे पर अखिल भारतीय किसान मजदूर संघर्ष समन्वय समिति और मजदूरों संगठनों द्वारा राष्ट्रव्यापी विरोध कार्यक्रम का समर्थन करते हुए रिहाई, काले कानूनों का खत्मा, कमाई, दवाई, पढाई के सवालों पर लोकतंत्र बचाओ दिवस आयोजित करने का निर्णय लोकतंत्र बचाओ अभियान की वेबिनार बैठक में हुआ।

इस दिन लोकतंत्र बचाओ अभियान से जुड़े सभी लोग बैनर, पोस्टर के साथ इस कार्यक्रम को मनायेंगे और सोशल मीडिया ट्वीटर, फेसबुक, वाट्सअप, इंट्साग्राम आदि के जरिए इसे प्रचारित व प्रसारित करेंगे। बैठक में 15 अगस्त स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर संवाद समूह द्वारा राष्ट्र निर्माण की शपथ के कार्यक्रम को भी करने का निर्णय हुआ। बैठक की अध्यक्षता आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी और संचालन दिनकर कपूर ने किया।

बैठक में उपस्थित अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कोरोना महामारी के दौर में प्रवासी मजदूरों के लिए पहल लेने और योगी सरकार द्वारा काम के घंटे 12 करने की कोशिश को वर्कर्स फ्रंट द्वारा विफल करने के प्रयास की सराहना की। साथ ही आइपीएफ द्वारा हाईकोर्ट में हस्तक्षेप कर कोरोना महामारी के दौरान सरकार द्वारा सरकारी व निजी अस्पतालों में बंद की गयी सामान्य स्वास्थ्य व्यवस्था को पुनः चालू कराने की पहल का स्वागत किया। उन्होंने कहा कि आरएसएस और भाजपा देश में वित्तीय पूंजी के सक्रिय सहयोग से मौजूदा राजनीतिक व्यवस्था को अधिनायकतंत्र में तब्दील करने में पूरी ताकत से लगी हुई है। उनके इसी प्रोजेक्ट का हिस्सा ही राम मंदिर का निर्माण भी है। आरएसएस ने भूमि पूजन के लिए 5 अगस्त की तारीख का चुनाव भी इसीलिए किया क्योंकि इसी दिन मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर का पुनर्गठन करने का दुस्साहिक कदम उठाया था जिसके दुष्परिणाम आज भारत-चीन सीमा विवाद, पाकिस्तान का मनोबल बढ़ना, जम्मू कश्मीर में मानवाधिकारों व लोकतंत्र की हत्या के रूप में सामने आ रहे है।

उन्होंने कहा कि उत्तर प्रदेश लोकतंत्र पर हमले का माडल बन रहा है। पुलिस राज में तब्दील होता जा रहा प्रदेश अपराधियों-माफियाओं के हवाले हो गया है और आम नागरिकों का जीवन असुरक्षित है। वित्तीय पूंजी के लिए आरएसएस-भाजपा द्वारा लाए जा रहे अधिनायकवाद और सामाजिक-सामुदायिक विषमता के विरूद्ध लोकतंत्र, स्वतंत्रता, समता और भाईचारा कायम करना हमारा लक्ष्य है। उन्होंने रिहाई, दवाई, कमाई, पढाई यानी राजनीतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं की बिना शर्त रिहाई, काले कानूनों का खत्मा, रोजगार, स्वास्थ्य, शिक्षा के अधिकार पर 9 अगस्त को लोकतंत्र बचाओ दिवस के रूप में आयोजित करने की अपील की।

बैठक में मौजूद पूर्व डी.जी. उ. प्र. पुलिस, बिजेन्द्र सिंह ने आज देश में डा. अम्बेडकर के विचार को मानने वालों समेत अन्य जनपक्षधर समूहों की एकजुटता पर जोर देते हुए कहा कि इस ऐतिहासिक कमी को पूरा करने के लिए ली जा रही पहल सराहनीय है। पूर्व न्यायधीश बी. डी. नकवी ने कहा कि आज फासीवाद का खतरा वास्तविक खतरा बनके उभरा है और यह दुनियाभर में बढ़ रहा है। हिन्दुस्तान में विरोध की हर आवाज को कुचलने की कोशिश हो रही है। आनंद तेलतुम्बड़े, वरवर राव, गौतम नवलखा, सुधा भारद्वाज, कफील खान जैसी प्रतिभाओं और हस्तियों को जेल में बंद रखा गया है। इसके विरूद्ध सामाजिक, सांस्कृतिक व राजनीतिक समवेत पहल की जरूरत है।

इलाहाबाद विश्वविद्यालय छात्रसंघ के पूर्व अध्यक्ष लाल बहादुर सिंह ने कहा कि कोरोना महामारी से निपटने में मोदी और योगी सरकार विफल रही है। इस महामारी ने मौजूदा स्वास्थ्य व्यवस्था के संकट को भी सामने लाने का काम किया है। इसी दौर में तेजी से आरएसएस अपने कारपोरेटपरस्त एजेंडे को लागू करने के लिए ढांचागत बदलाव कर रही है। नई शिक्षा नीति, सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण आदि इसके जीवंत उदाहरण है।

हाईकोर्ट के अधिवक्ता नीतिन मिश्रा ने प्रशांत भूषण पर चलाई जा रही अवमानना याचिका पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि इससे न्यायापालिका की प्रतिष्ठा पर गहरा आघात हो रहा है। संवाद समूह के आलोक ने 15 अगस्त के कार्यक्रम के बारे में विस्तार से रखते हुए कहा कि इस दिन देशभर में सभी सहमना संगठन अपने वीडियो के जरिए एक लोकतांत्रिक भारत निर्माण के संकल्प को लेंगे। युवा मंच संयोजक राजेश सचान ने कोरोना महामारी के दौरान पैदा हुए रोजगार के भयावह संकट पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए रोजगार के अधिकार के लिए अभियान चलाने की आवश्यकता को रेखाकिंत किया। कानपुर के मजदूर नेता असित सिंह ने मजदूर वर्ग पर हो रहे हमलों पर बात रखते हुए इसके विरोध की अपील की। प्रेस कर्मचारियों के नेता जयराम पांडेय ने लोकतंत्र को बचाने के लिए जारी मुहिम का समर्थन किया।

बैठक का समापन करते हुए आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी ने उत्तर प्रदेश के पुलिस राज में तब्दील होने पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए कहा कि योगी राज में तो संविधान और सुप्रीम कोर्ट तक के आदेशों की लगातार अवमानना हो रही है। प्रदेश में आम जन की आवाज उठाने पर राजनीतिक सामाजिक कार्यकर्ताओं का उत्पीड़न हो रहा है। कोरोना महामारी से निपटने की घोषणाएं तो बहुत हो रही है लेकिन जमीनी स्तर पर इलाज के अभाव में लोग लगातार मर रहे है, कोरंटाइन सेंटरों में बुनियादी सुविधाएं तक नहीं है। दरअसल योगी सरकार ने सत्ता में रहने का नैतिक अधिकार खो दिया है।

एस. आर. दारापुरी
राष्ट्रीय प्रवक्ता,
आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट


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