उत्तर भारत के लोग, दक्षिण भारत के महान सामाजिक क्रान्तिकारी, दार्शनिक और देश के एक बडे हिस्से में सामाजिक-सन्तुलन की विधियों और राजनीतिक संरचना में आमूलचूल परिवर्तन लाने वाले पेरियार ई. वी. रामासामी के बौद्धिक योगदान के विविध आयामों से अपरिचित हैं। यह सुनने में अजीब है, लेकिन सच है। पेरियार ने विवाह संस्था, स्त्रियों की आज़ादी, साहित्य की महत्ता और उपयोग, भारतीय मार्क्सवाद की कमजोरियों, गांधीवाद और उदारवाद की असली मंशा और पाखंड आदि पर जिस मौलिकता से विचार किया है, उसकी आज हमें बहुत आवश्यकता है।
ऐसे में राजकमल प्रकाशन नई किताबों के प्रकाशन के नए दौर की शुरुआत करते हुए सबसे पहले पेरियार ई. वी. रामासामी की दो किताबें ला रहा है।
ये दो किताबें हैं : ‘धर्म और विश्वदृष्टि’ और ‘सच्ची रामायण’।
राजकमल प्रकाशन समूह के अध्यक्ष अशोक महेश्वरी का कहना है, “यह समय नए पाठ के साथ पुन: पाठ का भी है। यह संपूर्ण हिन्दी क्षेत्र के लिए चिंता का विषय था कि पेरियार जैसे समाज चिन्तक के विचार हिन्दी में कम ही पढ़ने को मिलते थे। बहुत समय से हमारी योजना थी कि उनके विचारों को किताब की शक्ल में एक जगह इकट्ठा करके प्रकाशित किया जाए। इस दौर में यह रोशनी की उम्मीद हैं। उनके इन विचारों को हम अपनी भाषा में पढ़ सकें यह हमारे लिए एक सुखद एहसास है।”
यह दोनों किताबें 21 जुलाई से राजकमल प्रकाशन की वेबसाइट (www.rajkamalbooks.in) से आसानी से खरीदी जा सकती हैं। साथ ही पाठक फोन एवं राजकमल वाट्सएप्प नंबर (9311397733) पर संपर्क करके भी किताब खरीद सकते हैं। राजकमल प्रकाशन की वेबसाइट से पाठक किताबों के पहले सेट पर 40% प्रतिशत की विशेष छूट भी प्राप्त कर सकते हैं। यह सुविधा 31 जुलाई तक उपलब्ध होगी। 1 अगस्त को दूसरा सेट जारी किया जाएगा।
इस कठिन समय में राजकमल प्रकाशन समूह ने लोगों को जोड़े रखने का काम निरंतर जारी रखा है। लॉकडाउन से अनलॉक की प्रक्रिया की ओर बढ़ते हुए हमारे आसपास का जीवन सक्रिय हो रहा है। दुकानों, दफ्तर, खाने-पीने की जगहों पर कम ही सही लेकिन लोगों की उपस्थिति उस स्थान को जीवंत बनाए रखने का प्रयास कर रही है लेकिन बीमारी अपने डैने अभी फैलाए हुए है। आंकड़ों की दुनिया हमें बीमारी के इस घनघोर जाल से रोज़ कुछ नया बता रही है।
माहेश्वरी कहते हैं, “पिछले कुछ समय के घटनाक्रम में किताबों का छप कर आना नई उम्मीद पैदा करने जैसा है कि सबकुछ ठीक होने की तरफ बढ़ रहा है। इस नई पहल में हम हर दस दिन पर दो नई किताबें, विशेष छूट के साथ पाठक के लिए उपलब्ध होंगी। उम्मीद है पाठक हमारी इस पहल का दिल खोलकर स्वागत करेंगे।“
किताबों का साथ बना रहे इसलिए राजकमल ने ई-बुक में किताबों की उपलब्धता को लगातार बढ़ाया है। लॉकडाउन के दौरान 100 से भी अधिक किताबों के ई-बुक संस्करण नए जुड़े तथा किताबों की संक्षिप्त जानकारी एवं अंश भी लगातार पाठकों के साथ साझा किये गये। इस कड़ी में नई किताबों का प्रकाशन राजकमल प्रकाशन समूह की अगली पहल है।
पेरियार की दो किताबों के बाद त्रिलोक नाथ पांडेय का उपन्यास ‘चाणक्य का जासूस’ औऱ प्रबोध कुमार सान्याल का यात्रा वृतांत ‘उत्तर हिमालय-चरित’ (यात्रा-कथा) प्रकाशित होकर जल्द ही पाठकों के लिए उपलब्ध होगी। चाणक्य का जासूस त्रिलोकनाथ पांडेय का दूसरा अपन्यास है। इसमें जासूसी के एक अभिनव प्रयोग का प्रयास किया गया है क्योंकि यह सिर्फ जासूसी फंतासी नहीं, बल्कि अनुभवजनित मणियों से गुम्फित ऐतिहासिक कथा है।
प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित