10 जून, 2016 वाराणसी | उत्तर प्रदेश के वाराणसी जिले के फूलपुर थानान्तर्गत थाने गाँव में दिनांक 4 अप्रैल, 2020 को मुसहरो व गाँव के दबंगों के बीच हुए झड़प में दोनों पक्षों के घायल होने व मुसहरों के घरों के जलने के बावजूद इस मामले में पुलिस द्वारा मुसहरों के खिलाफ एकतरफा कार्यवाही करते हुए FIR 0103/2020 भोर में 5 मई 2020 को 4.40 पर किया गया और उसमें केवल मुसहर समुदाय के लोगों को ही नामजद किया गया| उससे भी आश्चर्य की बात यह है कि वाराणसी के मानवाधिकार व सामाजिक कार्यकर्ता मंगला राजभर को फर्जी तरीके से फंसा कर मुक़दमे में नाम दर्ज कर दिया| इस मामले में पहली FIR पुलिस के सब इंस्पेक्टर लक्ष्मण प्रसाद शर्मा द्वारा दर्ज करवाई गयी थी जिसमे 40-50 अज्ञात लोगों के साथ 26 आरोपी के नामों का उल्लेख किया गया है | बताते चलें कि लॉकडाउन होने के पश्चात् मंगला राजभर ने कोईरीपुर मुसहर बस्ती में मुसहरों में बेरोजगारी व सरकारी स्तर पर मिलने वाली खाद्यान्न की मदद की अनुपलब्धता के कारण बस्ती के लोग अकरी खाने को मजबूर की खबर उन्होंने उजागर की थी जिससे प्रशासनिक अमले में काफी हड़कंप मच गया जिसका प्रशासन ने खंडन किया और उसी के तहत यह फर्जी मुकदमा किया गया ऐसा प्रतीत होता है |
आपका ध्यान इस और भी आकृष्ट कराना चाहता हूं कि 25 आरोपी एक ही गांव के मुसहर हैं और 26 नंबर पर FIR में सामाजिक कार्यकर्ता मंगला राजभर का नाम जोड़ा गया है जबकि वो थाने गांव से लगभग 6-7 किलोमीटर दूर अपने घर अहिरानी, कुआर बाज़ार बड़ागांव में थे और वर्तमान में लॉकडाउन होने के कारण कहीं आना जाना संभव नहीं था क्योंकि जगह जगह पुलिस ने बैरिकेडिंग कर रखी थी| उनके घर में रहने की पुष्टि उनके गांव के प्रधान द्वारा लिखित दी गयी है और साथ ही उनका मोबाइल लोकेशन भी इस बात की पुष्टि करता है|
इसके बाद उसी घटना के लिए एक और FIR किया गया जिसे विपिन कुमार सिंह S/O स्वर्गीय कैलाश नाथ सिंह निवासी रामपुर, पोस्ट थाना रामपुर, की तरफ से की गयी जिसमें 29 आरोपी का उल्लेख किया और 27 आरोपी मुसहर हैं। मंगला प्रसाद राजभर का नाम नंबर 28 और 29 नंबर पर धीरज सिंह S/O जनार्दन सिंह के नाम को आरोपी बताया गया है | इसमें सबसे हैरानी की बात यह है कि पहली FIR धीरज सिंह के नाम का उल्लेख नहीं है और दूसरी FIR 0104/2020 दोपहर में 1.30 बजे की गयी जिसमे यह उल्लेख किया गया है उनका पता अज्ञात दर्शाया गया है जबकि वो उसी गांव के रहने वाले है | पुलिस की इस कार्यवाही पर यह प्रश्न खड़ा होता है कि धीरज सिंह उसी गाँव के ठाकुर हैं, लेकिन उनका पता अज्ञात बताया गया है। यह भी ध्यान देने योग्य है कि पहली FIR में उसका नाम क्यों नहीं दर्शाया गया है|
इस पूरे मामले में पुलिस के कार्यवाही पर यह भी प्रश्न खड़ा होता है कि इस केस में मुसहर समुदाय की तरफ से कोइ FIR क्यों दर्ज नहीं की गयी जबकि मुसहर समुदाय के लोग दबंगों से मार खाने के बाद मुसहर समुदाय के लोग ही फूलपुर थाने गए थे जहां से उन्हें भगा दिया गया और पुलिस भी मुसहर लोगों की शिकायत पर ही गांव में आयी थी|
इसके साथ ही संस्था द्वारा लोगों से यह अपील की गयी कि “सामाजिक कार्यकर्ता मंगला राजभर के ऊपर दर्ज फर्जी मुक़दमे को हटाने का आदेश करे” जिसपर देश भर से सैकड़ो लोगों ने यह पेटीशन पर हस्ताक्षर कर माननीय मुख्मंत्री को भेजा है जिसे एक अभियान के तहत पूरे देश और साथ ही भारत के बाहर से भी इस अभियान में लोग जुड़कर लगातार हस्ताक्षर कर रहे हैं।
(प्रेस विज्ञप्ति)
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