दिल्ली की अम्बेडकर युनिवर्सिटी में ऐसी क्या दिक्कत है कि तीन साल के भीतर 25 से ज्यादा शिक्षक और विद्वान उसे छोड़कर कहीं और जा चुके हैं? 2008 में खुला यह विश्वविद्यालय सामाजिक विज्ञान और मानविकी के पाठ्यक्रमों के लिए बहुत सराहा गया था। देश भर से अच्छे विद्वानों के यहां आने से अकादमिक नवाचार की उम्मीद मजबूत हुई थी। बीते कुछ वर्षों में जिस ढंग से इस परिसर को जर्जर और कमजोर किया गया है, वह बहुत चिंताजनक है।
डॉ. बी. आर. अम्बेडकर युनिवर्सिटी की फैकल्टी एसोसिएशन (एयूडीएफए) ने इन्हीं सब मसलों पर गुरुवार को एक विस्तृत मांगपत्र जारी किया है।
परिसर में काम के खराब माहौल, लक्ष्रित उत्पीड़न, संवाद में कमी, करियर एडवांसमेंट स्कीम में मनमानेपन और जर्जर बुनियादी ढांचे को लेकर एक विस्तृत मांगों का ज्ञापन और चार्टर जारी करते हुए एयूडीएफए ने विश्वविद्यालय प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाए हैं।
फैकल्टी एसोसिएशन का कहना है कि पिछले कुछ वर्षों में वह विश्वविद्यालय द्वारा अनुभव की गई लगातार गिरावट पर संकट को दर्शाता रहा है और विश्वविद्यालय के कर्मचारियों को परेशान करने वाले कारकों को एयूडी प्रशासन से साझा करता रहा है। एयूढीएफए ने अपने चार्टर में जिन गंभीर मुद्दों को उठाया है उनमें एयूडी की गिरती रैंकिंग, आवेदनों में गिरावट, बाह्य वित्तपोषित परियोजनाओं की समाप्ति, और फैकल्टी का शोषण है।
एयूडी रैंकिंग में फिसल गया है। 2014 में NAAC द्वारा A ग्रेड (CGPA 3.02) दिए जाने से 2022 में B++ (CGPA 2.80) तक। NIRF (2016) द्वारा शीर्ष 100 विश्वविद्यालयों में सूचीबद्ध होने के बावजूद आज AUD अब देश के शीर्ष 200 विश्वविद्यालयों में भी नहीं है। इसके अलावा, विश्वविद्यालय में आवेदनों में काफी गिरावट आई है।
2020 के बाद से, AUD के UG और PG कार्यक्रमों के लिए आवेदन चिंताजनक रूप से कम हो गए हैं। अमूमन जिन PG विषयों में लगातार 400 से अधिक आवेदन प्राप्त होते थे, अब कुछ दर्जन आवेदन ही प्राप्त होते हैं। यहां तक कि सबसे लोकप्रिय कार्यक्रमों में भी आवेदकों की संख्या में चिंताजनक कमी देखी गई है।
एसोसिएशन के अनुसार एयूडी फैकल्टी/संकाय नियमित रूप से प्रति वर्ष लगभग 5-7 करोड़ रुपये की परियोजनाएं और परामर्श लेते रहे हैं। आज यह संख्या बमुश्किल 1 करोड़ रुपये तक पहुंचती है जिसके चलते विश्वविद्यालय में हो रहे शोध में गिरावट आई है।
सबसे अहम मुद्दा फैकल्टी का लगातार होता शोषण है और विश्वविद्यालय में लिए जाने वाले निर्णयों में उसकी अनदेखी और अवहेलना है। एसोसिएशन के अनुसार वरिष्ठ विद्वानों सहित करीब 25 से अधिक संकाय सदस्यों ने 2020 से विश्वविद्यालय से इस्तीफा दे दिया है। इनमें से कुछ निजी विश्वविद्यालयों में चले गए हैं जबकि अन्य ने वर्तमान तनावपूर्ण कार्य स्थितियों के कारण बिना किसी नौकरी के एयूडी छोड़ दिया है। यह होना एक पब्लिक यूनिवर्सिटी के लिए काफी शर्म की बात है।
फैकल्टी के मुताबिक जो एयूडी में अनुसंधान, शैक्षणिक कार्य और शिक्षण और गैर-शिक्षण कर्मचारियों के मनोबल को प्रभावित करने वाले ये अहम कारण हैं:
- किसी भी सेवा नियम को अधिसूचित नहीं किया गया है, जिसके कारण संकाय के काम में स्पष्टता की कमी है, और नियमों के विभिन्न सेटों की मनमर्ज़ी व्याख्या की जा रही है
- संकाय को नियमित रूप से शैक्षणिक गतिविधियों में भाग लेने, वीजा और उचित चैनलों के माध्यम से शैक्षणिक पदों के लिए आवेदन करने, या समय सीमा बीत जाने के बाद उन्हें प्राप्त करने के लिए एनओसी देने से इनकार कर दिया जाता है
- बाहरी परियोजनाओं को पूरा करना इतना बोझिल हो गया है कि संकाय सदस्य बाहरी अनुदान के लिए आवेदन करने और उसे पूरा करने में लालफीताशाही से खुद को बचाने के लिए अनुसंधान के अवसर छोड़ दे रहे हैं
- अनुबंध पर (नियमित संकाय के बदले में) अतिथि संकाय के पदों को अतिथि संकाय के पक्ष में समाप्त कर दिया गया है, जिससे संबंधित संकाय के लिए कम पारिश्रमिक और कार्यक्रमों को बेहतर ढंग से चलाने के लिए संकाय संख्या में कमी हुई है। उक्त अतिथि संकाय की नियुक्ति में देरी होने से शिक्षा/सीखने के समय की हानि के कारण कार्यक्रम प्रभावित होते हैं।
- गैर-शिक्षण कर्मचारी भी अल्पकालिक अनुबंधों, नवीनीकरण में देरी और परिणामस्वरूप लंबे अवकाश के चलते अनिश्चितता से पीड़ित हैं
- फैकल्टी का आरोप है कि प्रशासन द्वारा विभिन्न आधारों पर फैकल्टी को परेशान किया जाता है। अतीत में प्रशासन और/या समितियों द्वारा लिए गए निर्णयों की उद्देश्यपूर्ण प्रतिगामी पुनर्व्याख्या का एक सिलसिला चल रहा है। इससे संकाय को बिना किसी गलती के दंडात्मक कार्रवाई का सामना करना पड़ता है। इनमें से कुछ कार्रवाइयों के परिणामस्वरूप सेवा की हानि और मानसिक तनाव के अलावा, संबंधित संकाय सदस्यों पर अचानक वित्तीय बोझ आ पड़ा है।
- अधिकांश शिक्षक विश्वविद्यालय की विशिष्ट परामर्शी प्रक्रियाओं से बाहर रह गए हैं। विश्वविद्यालय के लिए दीर्घकालिक परिणाम वाले महत्वपूर्ण निर्णयों पर उससे जुड़ी फैकल्टी के साथ चर्चा नहीं की जाती है। परामर्शात्मक और रचनात्मक समीक्षा प्रक्रियाएं जो आदर्श थीं, उन्हें छोड़ दिया गया है। निर्णय लेने के पूर्ण केंद्रीकरण से स्कूलों और केंद्रों में लगभग कोई कार्यात्मक स्वायत्तता नहीं रह गयी है।
- कैरियर एडवांसमेंट स्कीम (सीएएस) का क्रियान्वयन नियमों को मनमाने ढंग से लागू करके किया जा रहा है। सीएएस बैठकें आयोजित करने में देरी और पिछली सेवा से इनकार करना आम बात बन गई है। अनुसंधान के लिए चयनित संकाय को पुरस्कृत करने और अधिकांश को प्रगति का उचित मौका देने से इनकार करने की एक निंदनीय प्रवृत्ति उभर रही है।
एयूडी परिसर जीर्ण-शीर्ण, अस्वच्छ और असुरक्षित बुनियादी ढांचे से पीड़ित हैं। छात्र और शिक्षक नियमित रूप से टूटे हुए फर्नीचर, बिजली कटौती, गैर-कार्यशील एयर कंडीशनर और पंखे, फंगल-मोल्ड, अनुपयोगी शौचालय और बाढ़ वाले कमरों में काम करते हैं। कागजों पर भारी भरकम खर्च के बावजूद वास्तविक हालात बेहद खराब हैं।
एसोसिएशन ने मांग की है कि निम्नलिखित कदम तत्काल उठाए जाएं:
1. एयूडी प्रशासन द्वारा फैकल्टी का उत्पीड़न तुरंत बंद किया जाए; कारण बताओ नोटिस और वसूली नोटिस तुरंत वापस लिए जाएँ।
2. CAS को समयबद्ध और निष्पक्ष तरीके से लागू करें। अनुचित और ग़लत निर्णयों की पुनः जाँच करें और उन्हें उलटें।
3. परिसरों को सुरक्षित और आरामदायक बनाने के लिए मौजूदा बुनियादी ढांचे की मरम्मत और नवीनीकरण में निवेश करें।
4. एक सुविधाजनक, कॉलेजियम और पारस्परिक रूप से सम्मानजनक कार्य वातावरण की दिशा में कार्य करें। संकाय अनुसंधान, विद्वानों के आदान-प्रदान और उचित लाभों का समर्थन करें।
5. विश्वविद्यालय में लोकतांत्रिक माहौल को बहाल किया जाए, और सभी शिक्षकों को निर्णय लेने की प्रक्रिया में शामिल किया जाए