हरियाणा के ऐलानाबाद उपचुनाव में एक बार फिर से इनेलो पार्टी के अभय चौटाला ने जीत हासिल की है। ये विधानसभा क्षेत्र इनेलो का परम्परागत गढ़ है। अभय चौटाला ने किसान अन्दोलन की सफलता को देखते हुए अपने राजनीतिक भविष्य को किसानों से जोड़ते हुए इसी वर्ष के आरम्भ में हरियाणा विधानसभा से त्यागपत्र दे दिया था।
किसान अन्दोलन के कारण अनुकूल परिस्थितियों में अभय चौटाला की जीत अपेक्षित थी, लेकिन भाजपा प्रत्याशी गोविन्द कांडा को जितने मत प्राप्त हुए उनसे साफ होता है कि किसान बहुल क्षेत्र में भाजपा की पैठ कितनी गहरी हो चुकी है और कृषि कानूनों के प्रति जनता कितने विरोधाभासों में है।
कांग्रेस के प्रत्याशी पवन बेनिवाल, जो कुछ समय पहले ही भाजपा छोड़ कर कांग्रेस में आए थे अपनी ज़मानत बचाने में भी असफल रहे जबकि कांग्रेस ने घोषित रूप से किसानों के अन्दोलन का समर्थन शुरू से ही किया हुआ है। ये परिणाम कांग्रेस के प्रदेश नेतृत्व के लिए भी निराशा के साथ-साथ सवाल लिए हुए है। इस उपचुनाव में प्रदेश में कांग्रेस की गुटबाजी एक बार फिर सतह पर आ गयी है।
अभय चौटाला ने अपनी जीत को किसानों की जीत कहा है और तीन कृषि कानूनों के विरुद्ध मतदाताओं के जनादेश से जोड़ते हुए अपनी इस जीत को कृषि अन्दोलन की मजबूती प्रदान करने की ओर कदम बताया। जिस भाजपा-जजपा गठबंधन की सरकार से आज अभय चौटाला आमने-सामने हैं कभी विगत में उसी भाजपा से ओमप्रकाश चौटाला चुनावी समझौते करके सरकार चला चुके हैं।
राजनीति समय और परिस्थितियों के साथ कब अपने आदर्शों और विचारधारा का रूप बदल ले ये कह पाना असंभव है। हरियाणा के राजनीतिक धरातल पर ऐलानाबाद के उपचुनाव में इनेलो की जीत से कोई विशेष प्रभाव या हलचल होगी इसकी संभावनाएं निकट भविष्य में कम ही हैं।