बंगाल चुनाव के चार चरण के मतदान हो चुके हैं और चार चरण के मतदान बाकी है. 10 अप्रैल को हुए चौथे चरण के मतदान के बाद यह कयास लगाया जा रहा है कि कोलकाता की 7 विधानसभा सीटों में से तीन टीएमसी और तीन बीजेपी के खाते में जा सकती हैं. जादवपुर की सीट पर सीपीएम का कब्ज़ा कायम रह सकता है.
जनपथ की टीम बीते दो सप्ताह से बंगाल की यात्रा पर है. हमारी यात्रा का पहला पड़ाव कोलकाता रहा जहाँ कोलकाता और आसपास के क्षेत्रों से लेकर सिंगुर, हुगली का जूट मिल वाला क्षेत्र, दक्षिण 24 परगना तक की यात्रा करने और वहां लोगों से बात करने के बाद हमने रिपोर्ट दी थी कि इन इलाकों में बीजेपी की हवा है.
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पिछले तीन दिन से उत्तर बंगाल के क्षेत्रों में भ्रमण और लोगों से बातचीत के आधार पर लगता है कि बीजेपी यहां पहले ज्यादा मजबूत हुई है. नक्सलबाड़ी में बीजेपी की संभावनाओं पर जनपथ एक रिपोर्ट कर चुका है. इस वक्त जनपथ की टीम दार्जिलिंग के पर्वतीय क्षेत्र में है जहां शनिवार को प्रधानमंत्री मोदी और उसके ठीक बाद रविवार को बिमल गुरुङ ने विशाल रैली की.
गौरतलब है यहीं सिलीगुड़ी से बीते साल 19 अक्टूबर को बीच कोरोना, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा ने बंगाल में चुनाव प्रचार का उद्घाटन यह कहते हुए किया था कि सीएए को लागू करने में कोरोना वायरस महामारी की वजह से देरी हुई, लेकिन अब जल्द ही इस कानून को लागू किया जाएगा. उन्होंने कहा था कि “नागरिकता संशोधन विधेयक संसद से पारित होने के बाद कानून बन चुका है और भाजपा इसे लागू करने को लेकर प्रतिबद्ध है.”
याद हो कि इसी सीएए के खिलाफ पूरे देश में जमकर आंदोलन हुए. कई लोग मरे पुलिस गोलीबारी में, कई घायल हुए, गिरफ्तारियां हुईं, किंतु बंगाल के लोगों ने शायद उसे भुला दिया. दार्जिलिंग और उत्तरी बंगाल के बांग्लादेशी हिन्दू तो उल्टा इसमें खुश हैं और उन्हें इसमें उनकी भलाई दिखती है. इसलिए वे बीजेपी को सत्ता में लाना चाहते हैं.
ऐसे माहौल में अगर किसी यौनकर्मी के मुंह से आपको एनआरसी और सीएए पर चिंताएं सुनने को मिलें, तो यह अचरज में डालने वाली बात हो सकती है. कोलकाता के सोनागाछी की एक यौनकर्मी, जो लंबे समय से दूरबार नाम के एनजीओ के साथ भी जुड़ी हुई हैं, उन्होंने बातचीत के दौरान स्पष्ट शब्दों में कहा कि ‘’अगर भाजपा की सरकार आ जाएगी तो वो एनआरसी करवाएगी और सीएए ले आएगी, ऐसे में हमारी जैसी हजारों औरतें कहां जाएंगी जिनके पास नाम के लिए भी कोई कागज पत्तर नहीं है.‘’
काजल से हमारी मुलाकात दूरबार के दफ्तर में हुई थी जहां वे सेक्रेटरी के पद पर हैं. यह संस्था लंबे समय से यौनकर्मी महिलाओं की सुरक्षा और पुनर्वास आदि के लिए काम कर रही है. इस संस्था को मशहूर चिकित्सक और कोविड-19 राष्ट्रीय टास्क फोर्स के सदस्य डॉ. जाना चलाते हैं. बातचीत के दौरान वे राजनीतिक और चुनावी मसलों से बचते हुए बस इतना बताते हैं कि 12 अप्रैल को उन्होंने अपने कार्यालय में सभी दलों के प्रतिनिधियों के साथ एक बैठक रखी है जिसमें वे यौनकर्मियों की चार मांगों को उठाएंगे.
विडम्बना यह है कि इन औपचारिक मांगों में एनआरसी और सीएए का मुद्दा शामिल नहीं है जबकि खुद उनकी संस्था की सचिव, जो यौनकर्मी भी हैं, इससे सरोकार जता चुकी हैं. कोलकाता के बाद सिलीगुड़ी वह दूसरा क्षेत्र है जहां यौनकर्मियों की तादाद बंगाल में सबसे ज्यादा है, इसके बावजूद उत्तरी बंगाल में एनआरसी और सीएए का मुद्दा दब चुका है. दो दिन पहले कूच बिहार में हुई गोलीबारी में पांच लोगों की मौत ने पूरा चुनावी मुद्दा ही बदल दिया है.
लोग कहते हैं कि पहाड़ में वोटरों की कीमत तय है. मिरिक के गोपालधारा चाय बागान के पास मिले स्थानीय दीपचंद्र बताते हैं कि यहां जो लोग मोदी की रैली में गए थे वही सारे लोग बिमल गुरुंग की रैली में भी गए, लेकिन किसी को भी वास्तव में अब गोरखा नेताओं पर भरोसा नहीं रह गया है. लंबे समय से गोर्खालैंड के नाम पर अपने नेताओं को बिकते हुए और समझौता करते हुए यहां के लोगों ने देखा है, इसीलिए इस बार वे मोदी में उम्मीद देख रहे हैं.
दूसरी ओर जिस तरीके से कूच बिहार की घटना पर ममता बनर्जी ने प्रतिक्रिया देते हुए सिलीगुड़ी में प्रेस कान्फ्रन्स रख के पत्रकारों के सामने फोन पर गोलीबारी के शिकार एक व्यक्ति से बात करवायी, यह दिखाता है कि अगले चार चरण में तृणमूल अपनी सत्ता बचाने के लिए पूरे दम खम के साथ भाजपा को चुनौती देगी. बहुत संभव है कि आधी राह में भाजपा ने जो बढ़त बनायी है, तृणमूल अगले चार चरणों में उसे संतुलित कर ले.