बाल ठाकरे लाइव : पाणिनि आनंद की कविता

(बाबा नागार्जुन दशकों पहले लिखकर जा चुके हैं. ठाकरे की ऐसी खाल खिचाई किसी और की करने की हिम्मत शायद ही हुई हो जैसी बाबा नागार्जुन ने की है. आज …

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एक उम्‍मीद जो तकलीफ़ जैसी थी: जनसत्‍ता का सती प्रसंग

जनसत्‍ता के 12 नवंबर 2012 अंक में छपे खाप का समर्थन करते शंकर शरण के लेख पर पिछले पोस्‍ट में हमने वरिष्‍ठ लेखक उदय प्रकाश की प्रतिक्रिया देखी जिसमें उन्‍होंने …

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जनसत्‍ता को ऐसे ‘विचारों’ से अपनी दूरी बढ़ाते रहना चाहिए: उदय प्रकाश

जनसत्‍ता में 12 नवंबर को छपे शंकर शरण के लेख पर उठाई गई आपत्तियों और उसके बाद जनसत्‍ता के संपादक की ओर से आए पत्रों के क्रम में एक महत्‍वपर्ण …

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छपने लायक हो, तो मैं तालिबानी विचार भी छाप सकता हूं: ओम थानवी

12 नवंबर 2012 को जनसत्‍ता में छपे शंकर शरण के खाप समर्थक लेख ‘हिंदू विवाह और गोत्र‘ के बाद हमने अखबार और उसके संपादक से कुछ सवाल पूछे थे। मामले …

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‘जनसत्‍ता’ में एक खाप-सत्‍ता भी है!

अभिषेक श्रीवास्‍तव   दैनिक जनसत्‍ता के 12 नवम्‍बर 2012 के संपादकीय पृष्‍ठ पर शंकर शरण का लेख छपा है ‘हिंदू विवाह और गोत्र’ (http://www.jansatta.com/index.php/component/content/article/32610-2012-11-12-04-53-59)। सुबह से ही अखबार की वेबसाइट …

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जेल से दयामनी बरला की चिट्ठी

झारखंड में ज़मीन अधिग्रहण के खिलाफ संघर्ष की अगुवा नेता और पत्रकार दयामनी बरला की ज़मानत याचिका पर कल सुनवाई नहीं हो सकी। अगली सुनवाई कल यानी 8 नवम्‍बर के …

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अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव का भारतीय संदर्भ

अभिषेक श्रीवास्तव   अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा का कार्यकाल खत्म होने पर एक सवाल उन लोगों से जरूर पूछा जाना चाहिए जिन्होंने उनके चुने जाने पर मार्टिन लूथर किंग को …

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कहानी तीन गांवों की: आखिरी किस्‍त

अभिषेक श्रीवास्‍तव   ओंकारेश्‍वर के घाट पर खडी स्‍टीमर और पीछे दिख रहा है ओंकारेश्‍वर बांध   समय कम था, लेकिन नर्मदा में नहाने का लोभ संवरण हम नहीं कर …

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कहानी तीन गांवों की: चौथी किस्‍त

अभिषेक श्रीवास्‍तव  किशोर कुमार की याद में बना स्‍मारक  एक अक्टूबर की सुबह। तड़के ड्राइवर शर्मा का फोन आ गया। दस मिनट में तैयार होकर हम नीचे थे। रास्ते में …

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कहानी तीन गांवों की: तीसरी किस्‍त

अभिषेक श्रीवास्‍तव (गतांक से आगे) हमने अपने अखबारी जीव से जानना चाहा कि इस गांव की दिक्कत क्या है। उसने बताया कि यहां शुरू में सब ठीक था, लेकिन बाद …

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