कोटा के छात्रों को वापस लाने की बधाई, लेकिन प्रवासी मजदूर भी तो आप ही के हैंः यूपी सरकार से प्रियंका गांधी


प्रवासी मजदूरों की जिम्मेदारी ले सरकार: प्रियंका गाँधी

हम मजदूरों को इस तरह नहीं छोड़ सकते हैं: प्रियंका गाँधी

मजदूरों को घर लाने की योजना बनाये सरकार: प्रियंका गाँधी

दिल्ली/लखनऊ, 19 अप्रैल 2020 | अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की महासचिव और उत्तर प्रदेश प्रभारी प्रियंका गाँधी ने वीडियो सन्देश में प्रवासी मजदूरों के लिए भावुक अपील कीं हैं।

महासचिव प्रियंका गाँधी ने जारी वीडियो में कहा है कि कई दिनों से जो यूपी के प्रवासी मजदूर अलग अलग प्रदेशों में फँसे हुए हैं, उनसे मैं बात कर रही हूँ। मैंने राजस्थान में, दिल्ली में, सूरत में, इंदौर में, भोपाल में, मुंबई और अन्य प्रदेशों में फँसे हुए लोगों से बात की। उनकी सबसे बड़ी समस्या क्या है? मज़दूरी करने के लिए ये अलग-अलग शहरों में गए| लाकडाउन हुआ| मजदूरी बंद हो गयी| आगे चलते चलते राशन भी ख़त्म हो गया| अब छह-छह लोग, आठ- आठ लोग एक कमरे में बंद हैं| राशन मिल नहीं रहा है| बहुत ही घबराये हुए हैं, बहुत ही डरे हुए हैं और किसी भी तरह से घर जाना चाहते हैं। और हम इनको दोषी ठहरा नहीं सकते कि आप घर जाना चाहते हैं। हम और आप भी तो अपने परिवार के साथ रहना चाहते हैं|

उन्होंने कहा कि हमें इनकी समस्या का हल खोजने की कोशिश करनी चाहिए| यह सबकी जिम्मेदारी है, मेरी है, आपकी है| हर सरकार की है| यूपी के एक एक मजदूर की जिम्मेदारी चाहे वे कहीं भी हों| किसी भी प्रदेश में हों| किसी भी देश में हों, यूपी सरकार की जिम्मेदारी है| हम उनको इस तरह से नहीं छोड़ सकते|

मैं यूपी सरकार को बधाई देना चाहती हूँ कि कोटा से आप छात्रों को घर ले आये, लेकिन ये मजदूर भी तो आपके ही हैं| ये भी हमारे हैं| इनके भी परिवार त्रस्त हैं, परेशान हैं| घबराए हुए हैं, इनके पास खाने के लिए कुछ नहीं है| इनके पास राशन नहीं है| हम घर नहीं ला पा रहे हैं|

प्रियंका गाँधी ने वीडियो सन्देश में कहा है कि मैं आग्रह करना चाहती हूँ कि एक हेल्पलाइन हो, हज़ार लोगों का कंट्रोलरूम हो| कम से कम ये लोग अपनी समस्याओं को बता पायें| ताकि दूसरी सरकारों से इनकी मदद हो पाए|

उन्होंने कहा कि दूसरी बात हमको किसी न किसी तरीके से इनकी समस्या हल करनी पड़ेगी| एक प्लान बनाया जाए ताकि धीरे-धीरे ये अपने जिले में आ सकें| देखिये हम इनको इस तरह नहीं छोड़ सकते| मेरी अपील है हर देशवासी से, यूपी की सरकार से कि हम इनकी मदद करें|


About जनपथ

जनपथ हिंदी जगत के शुरुआती ब्लॉगों में है जिसे 2006 में शुरू किया गया था। शुरुआत में निजी ब्लॉग के रूप में इसकी शक्ल थी, जिसे बाद में चुनिंदा लेखों, ख़बरों, संस्मरणों और साक्षात्कारों तक विस्तृत किया गया। अपने दस साल इस ब्लॉग ने 2016 में पूरे किए, लेकिन संयोग से कुछ तकनीकी दिक्कत के चलते इसके डोमेन का नवीनीकरण नहीं हो सका। जनपथ को मौजूदा पता दोबारा 2019 में मिला, जिसके बाद कुछ समानधर्मा लेखकों और पत्रकारों के सुझाव से इसे एक वेबसाइट में तब्दील करने की दिशा में प्रयास किया गया। इसके पीछे सोच वही रही जो बरसों पहले ब्लॉग शुरू करते वक्त थी, कि स्वतंत्र रूप से लिखने वालों के लिए अखबारों में स्पेस कम हो रही है। ऐसी सूरत में जनपथ की कोशिश है कि वैचारिक टिप्पणियों, संस्मरणों, विश्लेषणों, अनूदित लेखों और साक्षात्कारों के माध्यम से एक दबावमुक्त सामुदायिक मंच का निर्माण किया जाए जहां किसी के छपने पर, कुछ भी छपने पर, पाबंदी न हो। शर्त बस एक हैः जो भी छपे, वह जन-हित में हो। व्यापक जन-सरोकारों से प्रेरित हो। व्यावसायिक लालसा से मुक्त हो क्योंकि जनपथ विशुद्ध अव्यावसायिक मंच है और कहीं किसी भी रूप में किसी संस्थान के तौर पर पंजीकृत नहीं है।

View all posts by जनपथ →

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *