झूठ के वायरस से लड़ने के लिए स्वतंत्र पत्रकारिता को मज़बूत करें: मारिया रेसा

फिलीपींस की पत्रकार मारिया रेसा को इस साल रूस के दिमित्री मुरातोव के साथ “अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के रक्षार्थ प्रयासों” के लिए नोबेल शांति पुरस्कार दिया गया है। अट्ठावन वर्षीय रेसा खोजी पत्रकारिता करने वाली एक वेबसाइट रैपलर की सह-संस्थापक हैं।

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बनारस में गोष्ठी: भारतीय समाज एकरंगा बनाने की कोशिश बेहद खतरनाक!

काशी विश्वनाथ मंदिर के पूर्व महंत राजेन्द्र तिवारी ने कहा कि आज धर्म को सियासत की चाशनी में लपेटकर सरकार बनाने और बिगाड़ने का दौर शुरू है। ये किसी लोकतांत्रिक देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है। उन्होंने कहा कि आज धर्माधिकारियों और धर्म के व्यापारियों में समाज को बांट दिया गया है। इससे हमें सावधान होना चाहिए।

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धार्मिक सत्ता स्थापित करने का प्रयास लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ: प्रो. राम पुनियानी

पूर्व की सरकारों के दौर में भी मीडिया की भूमिका पर सवाल उठते थे पर वह अपवादस्वरूप होते थे आज हालत इससे उलट है। मीडिया ने जनसरोकार से किनारा कर के सत्ता सरोकार से रिश्ता बना लिया है जिससे लोकतंत्र के चौथे खम्भे से आम जन का भरोसा उठता जा रहा है।

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आजादी के अमृत वर्ष में ‘क्रांतिकारियों के मास्साब’ को गुमनामी से निकालने के लिए आमरण अनशन

गेंदालाल दीक्षित और क्रांतिकारियों को लेकर काम करने वाले दस्तावेजी फ़िल्म निर्माता और अवाम का सिनेमा के जरिये क्रांतिकारियों और समाज की सही तस्वीर सामने लाने वाले शाह आलम अभियान शुरू कर रहे हैं।

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जो विपक्षी दल आपस में एक दूसरे के साथ लड़ते हैं, वे फ़ासिस्टों के साथ हैं: अरुंधति रॉय

हमें एक बड़ी अहम माँग उठाने की ज़रूरत है कि हमारे देश में कोई व्यक्ति सिर्फ़ एक ही कार्यकाल के लिए प्रधानमंत्री बन सकता है। हमें राजा-महाराजाओं का समय नहीं चाहिए। वह समय ख़त्म हो गया। अब हमें माँग करनी है कि एक व्यक्ति सिर्फ़ एक ही बार प्रधानमंत्री बन पाए, उससे ज्यादा नहीं। हमारी तरफ़ से यह एक लोकतांत्रिक माँग उठनी चाहिए।

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श्रद्धांजलि: उपेक्षा के अंधेरे में बुझ गया समाजवादी पत्रकारिता का पुराना ‘जुगनू’

जुलाई में हिंदुस्तान के पुराने पत्रकार और प्रेस क्लब के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा ने नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव को अनुरोध किया था कि जुगनू जी को दिल्ली के बिहार निवास या सदन में शिफ्ट किया जाए। अगस्त में पत्रकारों और समाजकर्मियों ने उनकी मदद के लिए बिहार के मुख्यमंत्री श्री नीतीश कुमार को एक पत्र लिखा था। किसी गुहार पर सरकार की तरफ से कोई मदद नहीं मिली।

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लड़ाई जीत ली गयी है, आंदोलन फिलहाल स्थगित कर दिया गया है: संयुक्त किसान मोर्चा

यह सुनिश्चित करने के लिए कि भारत सरकार विरोध कर रहे किसानों से की गयी अपनी प्रतिबद्धताओं को पूरा कर रही है और भविष्य की कार्रवाई का खाका तैयार करने के लिए एसकेएम की अगली बैठक 15 जनवरी को दिल्ली में आयोजित की जाएगी।

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सरकार से संतोषजनक प्रतिक्रिया प्राप्त होने तक किसानों का आंदोलन जारी रहेगा: SKM

संयुक्त किसान मोर्चा ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण बैठक की और भारत सरकार से औपचारिक व संतोषजनक प्रतिक्रिया प्राप्त न होने तक किसान आंदोलन को जारी रखने का निर्णय किया। एसकेएम ने लंबित मुद्दों को हल करने के लिए भारत सरकार के साथ बातचीत करने के लिए अशोक धवले, बलबीर सिंह राजेवाल, गुरनाम सिंह चढूनी, शिव कुमार कक्काजी और युद्धवीर सिंह की पांच सदस्यीय समिति का गठन किया।

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जब HIV पॉज़िटिव लोग सामान्य ज़िंदगी जी सकते हैं तो 2020 में 6.8 लाख लोग एड्स से क्यों मरे?

वैज्ञानिक शोध की देन है कि अनेक एचआइवी संक्रमण से बचाव के तरीक़े भी हमारे पास हैं फिर 2020 में 15 लाख लोग कैसे नए एचआइवी से संक्रमित हो गए? यदि हम एचआइवी नियंत्रण और प्रबंधन में कार्यसाधकता बढ़ाएंगे नहीं तो 2030 तक कैसे दुनिया को एड्स मुक्त करेंगे?

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‘गुड फॉर इंडिया’ अभियान में बच्चों के स्वस्थ भविष्य के लिए PIPAL तले साथ आए सभी राजनैतिक दल

भारत में आहार संबंधी गैर संचारी रोग (डीआर-एनसीडी) बढ़ रहे हैं, जिससे लाखों बच्चों को खतरा हो रहा है। दुनिया में कुपोषित बच्चों की सबसे बड़ी संख्या वाला देश भारत लगभग 1.5 करोड़ मोटे बच्चों और 45 मिलियन अविकसित बच्चों का घर है।

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