हसदेव और सिलगेर आंदोलन के साथ 5 जून को एकजुटता जताएगी किसान सभा, रायपुर में सम्मेलन की घोषणा

प्रदेश में जल, जंगल, जमीन, खनिज और अन्य प्राकृतिक संसाधनों की लूट के खिलाफ हसदेव और सिलगेर में जारी आंदोलन को केंद्र में रखकर छत्तीसगढ़ किसान सभा ने भी 5 जून को पूरे प्रदेश में आदिवासियों के साथ एकजुटता व्यक्त करने का फैसला किया है।

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बनारस: बदली परिस्थिति में सामाजिक कार्यकर्ताओं की भूमिका पर तीन दिवसीय कार्यक्रम में सघन चर्चा

फादर एक्का ने कहा कि सरकार और आदिवासी समाज में एक-दूसरे को समझने को लेकर हमेशा से मतभेद रहा है। सरकार जिसे आवश्यक समझती है वह इस समाज को गैरजरूरी लगता है। ऐसे में आवश्यकता इस बात की है कि हम इस समाज के विकास के लिए अपना नजरिया बदलें।

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आजादी के बाद नेहरू ने खुश्क जमीन पर आधुनिक भारत के निर्माण की नींव रखी थी: प्रो. दीपक मलिक

इंडियन सोशल इंस्टीट्यूट, सेंटर फार हार्मोनी एंड पीस एवं राइज एंड एक्ट के तत्वावधान में आयोजित कार्यक्रम में प्रो. दीपक मलिक ने कहा कि साल 1952 में फूलपुर लोकसभा चुनाव के दौरान ही नेहरू ने कहा था कि तानाशाही बहुसंख्यकवाद के जरिये आएगी। आज देश न सिर्फ़ वह दौर देख रहा बल्कि महसूस भी कर रहा है।

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सच कहना ही प्रतिरोध है, प्रेम करना है नफरत का विरोध: IPTA की सांस्कृतिक यात्रा का समापन

इप्टा द्वारा पाँच राज्यों में 44 दिनों तक निकाली गई “ढाई आखर प्रेम के” सांस्कृतिक यात्रा का समापन इंदौर में गीत, संगीत और नाटकों के प्रदर्शन के साथ समारोहपूर्वक संपन्न हुआ। सार्वजनिक स्थलों पर जनगीत गाए गये। नुक्कड़ नाटकों की प्रस्तुति हुई। इप्टा के कलाकारों ने यात्रा निकालने के कारणों और यात्रा में मिले अनुभवों को साझा किया।

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असलम भूरा केस में सुप्रीम कोर्ट के फैसले की अवमानना है ज्ञानवापी का सर्वे आदेश- शाहनवाज़ आलम

उन्होंने ज्ञानवापी का उदाहरण देते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने कथित सर्वे की रिपोर्ट के लीक होने पर तो नाराज़गी जतायी लेकिन उस कथित सर्वे के आधार पर मीडिया द्वारा प्रसारित किए जा रहे सांप्रदायिक अफवाहों पर कोई रोक नहीं लगाई जिससे उसकी मंशा पर संदेह उठना स्वाभाविक है कि कहीं यह कथित जन भावना के निर्माण की कोशिश तो नहीं है जिसके आधार पर बाद में इसे मंदिर घोषित कर दिया जाएगा।

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बस्तर: सिलगेर आंदोलन को एक साल पूरा होने पर जुटे हजारों आदिवासी, विशाल प्रदर्शन

साल भर पहले मारे गए आदिवासियों की पहली बरसी मनाने के लिए दूर-दूर से चलकर आदिवासी तीन दिन पहले ही यहां पहुंच गए थे। आंदोलन के नेता रघु ने बताया कि 15, 16 और 17 मई के कार्यक्रम में पूरे बस्तर से आदिवासी इकट्ठा हुए थे। मुख्य कार्यक्रम 17 मई को था।

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उद्योग जगत ने विज्ञान आधारित खाद्य पैकेजिंग पर चेतावनी लेबल का दिया समर्थन

वरिष्ठ सांसदों, उद्योग प्रतिनिधियों और सिविल सोसायटी का यह संवाद ऐसे समय हुआ है जब राष्ट्रीय व अन्तर्राष्टीय स्वास्थ्य और पोषण विशेषज्ञ एफएसएसएआई से ‘हेल्थ स्टार रेटिंग’ की बजाय ‘चेतावनी लेबल’ को एफओपीएल के तौर पर लागू करने की मांग कर रहे हैं, जो कई वैज्ञानिक शोध और अध्य्यन पर आधारित है।

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उनकी तुरबत पर नहीं है एक भी दीया, जिनके खूँ से जलते हैं ये चिरागे वतन…

मेरठ शहर से शुरू हुई क्रांति गांवों तक पहुंच गई थी। सभी अंग्रेजों के खिलाफ उठ खड़े हुए। मेरठ-बागपत जिलों की सीमा पर हिंडन नदी पुल और बागपत में यमुना नदी पुल को क्रांतिकारियों ने तोड़ दिया था। अंग्रेजों से संबंधित जो भी दफ्तर, कोर्ट, आवास व अन्य स्थल थे, वह फूंक डाले थे।

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हसदेव अरण्य बचाने के लिए आज राष्ट्रव्यापी प्रदर्शन, संघर्ष समिति ने देशवासियों से की अपील

हसदेव अरण्य के समर्थन में 4 मई 2022 को देशव्यापी प्रदर्शनों का आयोजन किया जा रहा है। हम लोग आपके साथ हसदेव अरण्य बचाओ संघर्ष समिति की अपील साझा करते हुए आग्रह करते है कि आपके साथ जितने भी लोग हो सकें- आप पोस्टर या बैनर ले कर अपनी बात रख सकते है- फ़ोटो या वीडियो लेकर आप अपनी जगह से ही सोशल मीडिया का इस्तेमाल करते हुए इस सांकेतिक विरोध में अपना समर्थन दे सकते है।

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दूरदर्शी विचारक और बड़े संगठनकर्ता थे पी.सी. जोशी – कॉमरेड डी. राजा

उन्होंने कहा कि आज की स्थिति में “वर्ग संघर्ष” का अर्थ है आर्थिक शोषण, सामाजिक असमानता और भेदभाव के खिलाफ लड़ाई, बेरोज़गारों व महिलाओं के रोजगार के लिए लड़ाई।

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