उत्तराखंड की पिथौरागढ़ पुलिस ने ‘जनज्वार’ से जुड़े पत्रकार किशोर राम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है। उनके खिलाफ आईपीसी (IPC) की धारा 153ए के तहत मुकदमा दर्ज किया है। पुलिस ने उनपर दो समुदायों के बीच सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने और जातीय वैमनस्य फैलाने का आरोप लगाया है।
पंद्रह दिन के भीतर यह दूसरा मामला है जब ‘जनज्वार’ से जुड़े पत्रकार के खिलाफ उत्तराखंड में मुकदमा दर्ज किया गया है। इससे पहले जनज्वार के पत्रकार अजय प्रकाश जब चुनावी कवरेज करने के लिए जा रहे थे तो रास्ते में उनके वाहन को रोक दिया गया था। इसके बाद सवाल करने पर एआरटीओ भड़क उठे थे और उलटे उनके खिलाफ सरकारी काम में बाधा पहुंचाने का मुकदमा दर्ज कर लिया गया था।
किशोर राम के खिलाफ दर्ज मुकदमे में उन्हें ‘जनज्वार को चलाने वाला’ बताया गया है, जबकि किशोर राम जनज्वार से बतौर रिपोर्टर जुड़े हैं। किशोर राम लगातार दलित, पिछड़ों और गरीबों से जुड़े मुद्दों को कवर करते रहे हैं। जिन वीडियो के आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया है, उनमें पीड़ितों के परिजन प्रशासन की ओर से कार्रवाई में सुस्ती पर सवाल उठाते हुए नजर आ रहे हैं।
एफआईआर के मुताबिक पत्रकार किशोर राम के खिलाफ पिथौरागढ़ कोतवाली में आईपीसी की धारा 153 ए के तहत मुकदमा दर्ज किया गया है। एफआईआर में बताया गया है कि यू-ट्यूब और फेसबुक पर प्रसारित किए गए दो वीडियो की सोशल मीडिया मॉनिटरिंग सेल द्वारा 22 फरवरी को जांच की गई और पाया गया कि ‘जनज्वार न्यूज पोर्टल को चलाने वाले’ पिथौरागढ़ के झूलाघाट निवासी किशोर राम द्वारा जनज्वार न्यूज पोर्टल के माध्यम से लोगों से बाईट लेकर बार-बार उनसे जाति पूछी जा रही है।
सवर्णों और अनुसूचित जाति के लोगों की हत्या करने की बात कही जा रही है जिससे दो जाति विषेष के मध्य सामाजिक सौहार्द बिगाड़ने का प्रयास किया जा रहा है। बता दें कि पुलिस जिन दो वीडियो के आधार पर पत्रकार किशोर राम के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है, वो दोनों अलग-अलग मामले हैं।
एक मामला दलित समुदाय से ताल्लुक रखने वाले युवक की हत्या का तो दूसरा दलित लड़की के साथ कथित तौर पर रेप का मामला। इन दोनों मामलों को जानते हैं। पहला- 13 फरवरी को पिथौरागढ़ के डीडीहाट ब्लॉक के गांव तल्ली भैसोढ़ी में दलित युवक रामी राम की हत्या को लेकर किशोर राम उसी गांव के लोगों और मृतक के रिश्तेदारों से बात करने और घटना के बारे में जानकारी लेने के लिए पहुंचे थे। इस दौरान गांव के लोगों और उनके रिश्तेदारों ने घटना के बारे में पूरी कहानी बताई थी।
परिजनों ने आरोप लगाया था कि 13 फरवरी को रामी राम को राजेंद्र सिंह देउपा ने फोन करके बुलाया था। रिश्तेदारों ने गोकुल सिंह देउपा पर रामी राम की हत्या का आरोप लगाया था। उनके मुताबिक रामी राम की पत्थरों से कुचलकर हत्या की गई थी। इस दौरान रामी राम की पत्नी ने भी आरोप लगाया था कि उनका पति कांग्रेस का समर्थक था इसलिए भाजपा से जुड़े लोगों ने उसे मौत के घाट उतार दिया।
दूसरा वीडियो एक नाबालिग दलित लड़की के साथ दुष्कर्म से जुड़ा था। किशोर राम ने इस मामले में भी पीड़ित परिवार का पक्ष जानने की कोशिश की थी। इस दौरान लड़की के पिता ने बताया था कि “यह घटना 18 जनवरी की रात की है जिसमें दो लड़के गौरव बिष्ट और किशन नाम डीजे वाले के साथ गए थे, जिन्होंने मेरी दो नाबालिग बेटियों को कार में घुमाने के बहाने अपने चंगुल में फंसाया।”
लड़की के पिता ने जनज्वार को बताया कि “पूरी रात इन्होंने मेरी बेटियों को हवस का शिकार बनाकर टनकपुर-पिथौरागढ़ हाईवे पर छोड़ दिया। रात के पता नहीं कितने बजे रहे होंगे। उसके बाद एक ट्रक ड्राइवर ने हमारी बेटियों को तप्पड़ नामक जगह पर छोड़ा। फिर उसके मोबाइल से फोन कर मेरे घर को जानकारी दी गई। उसके बाद मैंने प्रशासन के लिए कार्रवाई के लिए कहा तो प्रशासन ने कार्रवाई नहीं की। अभी मैं स्वयं यहां आया हूं तो मेरे साथ भी ऐसे व्यवहार किया जाता है कि जैसे मैंने कोई जुर्म किया हो।”
जनज्वार के संपादक ने इन मामलों के संबंध में चुनाव आयोग को पत्र लिखा है।