उत्तरी गोवा जिले के मेलाउली गांव में गोवा सरकार द्वारा आइआइटी के लिए जमीन अधिग्रहण का विरोध कर रहे आदिवासियों ने लेट कर मुख्य सड़क को जाम कर दिया है. वहां सरकारी अधिकारी साइट में चुपके से घुस कर सर्वेक्षण का काम कर रहे थे, तभी गांव वालों ने विरोध तेज कर दिया. प्रदर्शन स्थल पर करीब 200 महिलाएं और सौ पुरुष मौजूद हैं. वे सभी विरोध करते हुए सड़क पर लेट गये.
इस विरोध को रोकने के लिए गोवा सरकार ने वहां भारी संख्या में पुलिस बल तैनात किया है. प्रदर्शनकारी आदिवासी और गांव वालों को हिरासत में लिए जाने के लिए प्रदर्शन स्थल पर 8 बसें भेजी गयी हैं. इस बीच सूचना है कि लोगों ने सर्वे अधिकारियों को वहां से भगा दिया है.
इस परियोजना का विरोध कर रहे मेलाउली पंचक्रोशी ग्राम बचाओ आंदोलन के एक सदस्य ने जनपथ को फोन पर जानकारी देते हुए बताया:
जिस जगह को सरकार ने आइआइटी के लिए चुना है वह बहुत उपजाऊ जंगल है और पर्यावरण के लिहाज से बहुत संवेदनशील है. यहां के 80 प्रतिशत निवासी का जीवन इसी जंगल पर निर्भर है और उनके पास साधन का कोई और विकल्प भी नहीं है. उन्होंने आगे कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि सदियों से इस जंगल और इसके आसपास रहने वालों ने कभी इस हरित क्षेत को कोई नुकसान नहीं पहुंचाया है, उल्टा उन्होंने इसे संरक्षित किया है और इसकी रखवाली की है. अब सरकार जबरदस्ती यहां इस परियोजना को लाकर पर्यावरण को बर्बाद करने जा रही है और यहां के आदिवासी और गांव वालों को उजाड़ने जा रही है .
जनपथ से बात करते हुए स्थानीय पर्यावरण कार्यकर्ता डायना ट्रेवर्स ने कहा कि:
मेलुआलि एक पर्यावरण संरक्षित (ईएसए) क्षेत्र है और गोवा के मुख्यमंत्री और यहां पर्यावरण मंत्री ने केन्द्रीय पर्यावरण मंत्रालय को इस क्षेत्र को ईएसए से बाहर करने के लिए लिखा है.
मेलाउली के दोनों तरफ वाइल्ड लाइफ सेंचुरी हैं. क्षेत्र के आदिवासी और पर्यावरण कार्यकर्ता और विशेषज्ञ शुरू से इस परियोजना का विरोध कर रहे हैं किंतु सरकार अपनी जिद पर अड़ी है और अब जबरन वहां सर्वेक्षण का काम शुरू कर दिया है.