उत्तराखण्ड की उलटबांसी: घर बैठे भूख हड़ताल की तो धारा 144 तोड़ने और संक्रमण फैलाने के आरोप में केस


क्या घर पर बैठे हुए अनशन करना कानून की नज़र में अपराध है? संविधान में वह कौन सी धारा है जो आपको घर पर उपवास करने पर कानूनी दंड का भागी बना सकती है?

उत्तराखण्ड पुलिस की मानें तो भारतीय दंड संहिता यानी आइपीसी की धारा 188, 269, 270 और आपदा प्रबंधन अधिनियम की धारा 51 उन लोगों पर लागू होती है जो घर बैठे भूख हड़ताल करते हैं। यह मामला उत्तराखण्ड के एक युवा सामाजिक कार्यकर्ता महेश पर लगाये गये मुकदमे में सामने आया है।

महेश परिवर्तनकामी छात्र संगठन के लालकुआं में सचिव हैं। बीते 23 अप्रैल को पछास के सदस्यों ने गरीब मजदूरों-छात्रों की मांगों को उठाते हुए अपने अपने घरों में रहकर एक दिन की भूख हड़ताल की थी। भूख हड़ताल घर पर रहकर ही की गयी थी। लिहाजा इससे न तो धारा 144 का उल्लंघन हुआ और न ही किसी को संक्रमण फैलने का खतरा पैदा हुआ। एक तख्ती हाथ में लेकर छात्र युवाओं ने तस्वीर खिंचवायी और भूखे मजदूरों से एकजुटता दिखाते हुए फेसबुक पर डाली।

उत्तराखण्ड पुलिस को यह बात नागवार गुज़री। उसने घर पर बैठे लोगों पर 144 तोड़ने की धारा यानी 188 लगा दी और आइपीसी की धारा 269, 270 में उन पर मुकदमा दर्ज कर लिया जो संक्रमण फैलाने का जुर्म है।

इसका मतलब यह हुआ कि पछास के सदस्यों ने घर पर बैठे बैठे ही कोरोना का संक्रमण फैलाया और निषेधाज्ञा का उल्लंघन किया। यह अपने आप में दिलचस्प मामला है जो जाहिर है अदालत में कानूनी बिनाह पर तो टिकने से रहा लेकिन पुलिस के लिए एक नज़ीर बन गया है कि अब वह घर बैठे किसी भी शख्स पर मुकदमा लाद सकती है।

सुनिए पछास के महेश को, जो उत्तराखण्ड पुलिस के इस ताज़ा कारनामे का शिकार हुए हैंः

पछास, लालकुआं के सदस्य महेश

जाहिर सी बात है कि पुलिस का यह कृत्य, पुलिस द्वारा यह मुकदमा दर्ज करना लॉकडाउन में फंसे मजदूरों-छात्रों की मदद करने की आवाजों को दबाना है। यह कृत्य लॉकडाउन में फंसे मजदूरों-छात्रों के दर्द और पीड़ा की आवाजों को दबाना है।

इससे पहले भी उधम सिंह नगर की पुलिस भी लॉकडाउन का उल्लंघन के आरोप में इंकलाबी मजदूर केन्द्र के अध्यक्ष का उत्पीड़न कर चुकी है, जब एक पोस्ट का बहाना बनाकर उन पर राजद्रोह का मुकदमा दर्ज करने की धमकी दी गयी। पंतनगर के ठेका मजदूर कल्याण समिति के सचिव अभिलाख सिंह पर पुलिस ने राजद्रोह का मुकदमा दर्ज किया है। लॉकडाउन के दौरान पुलिस द्वारा मजदूरों को मुर्गा बनाये जाने का विरोध करने पर इन दोनों साथियों का पुलिस उत्पीड़न किया गया और दोनों का मोबाइल फोन जब्त कर लिया गया।

परिवर्तनकामी छात्र संगठन लगातार लॉकडाउन के बाद से गरीब मजदूरों के बीच राशन वितरण का काम कर रहा है। इस दौरान हमने तमाम गरीब मजदूरों और छात्रों की दुर्दशा देखी जो लॉकडाउन के कारण हो रही है। इस कारण ही यह महसूस हुआ कि देश का गरीब मजदूर और छात्र बेहद परेशानी में है। सरकार का ध्यान इन मजदूरों और छात्रों पर भी पड़े, इस कारण यह भूख हड़ताल रखी गयी थी। 


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