एनकाउंटर राज लोकतंत्र के लिए खतरा है: PUCL, UP

उत्तर प्रदेश की मौजूदा सरकार के कार्यकाल में एक हज़ार से अधिक एनकाउंटर के मामलों में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई चल रही है और इस पर अदालत ने राज्य सरकार से जवाब मांगा था, उसके बावजूद इस तरह की घटनाओं का रुकने की बजाय बढ़ते जाना बेहद चिंता की बात है। यह कानून के राज को खत्म करने की खुली घोषणा है।

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दुर्ग में दरार? हिन्दी पट्टी की हृदयस्थली में हिन्दुत्व को मिली शिकस्त के मायने

मोदी की नैतिक हार को रेखांकित करने वाला यह चुनाव और बाद की यह स्थिति उनके लिए तथा व्यापक संघ-भाजपा परिवार के लिए कई सबक पेश करती है। अब उन्हें यह तय करना है कि वह आत्ममंथन करेंगे या किसी अन्य के माथे दोषारोपण करके इतिश्री कर लेंगे!

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यूपी में भाजपा के सियासी समीकरण की रोशनी में ‘नेताजी’ को मिला पद्म विभूषण

मोदी सरकार द्वारा मुलायम सिंह को सम्मानित करने का भले ही भाजपा को तत्काल कोई फायदा नहीं मिले, लेकिन अखिलेश यादव और समूची सपा द्वारा जिस तरह से इस सम्मान पर एक सतही विरोध दिखाया गया उसने मुसलमानों में भाजपा के खिलाफ सपा के रवैये पर एक और आशंका जरूर पैदा की है।

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UP: मानवाधिकार हनन के केस में मुख्य सचिव को NHRC का नोटिस, 25000 के मुआवजे की सिफारिश

कैदी को अस्‍पताल में हथकड़ी और पैरों में जंजीर बांध कर रखने के मामले में आयोग ने मुख्‍य सचिव को लिखा है कि यह ‘अमानवीय’ है और अंतरराष्‍ट्रीय कानूनों व देश के कानून में वर्णित एक व्‍यक्ति के मानव अधिकारों का ‘घोर उल्‍लंघन’ करता है। इस मामले में आयोग ने सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले का हवाला दिया है।

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टंकी पर चढ़ी लखनऊ की शिखा पाल बनाम पहाड़ पर चढ़ी बेरोजगारी

भारत की बेरोजगारी अथवा अर्द्धबेरोजगारी की समस्या का हल यह है कि रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाया जाए। अमीर-गरीब के अंतर को कम करना पड़ेगा। ऐसा नहीं होना चाहिए कि हमारा एक पूंजीपति मुकेश अंबानी तो दुनिया के दस सबसे अमीर लोगों में शामिल हो जाए और आधी आबादी इतनी गरीबी में जीने को मजबूर हो कि अपने बच्चों का कुपोषण भी दूर न कर सके।

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यूपी मांगे रोजगार: लखनऊ में हजारों छात्र-युवा भरेंगे हुंकार ताकि चुनावी मुद्दा बन सके रोजगार!

मोर्चे का मुख्य उद्देश्य आगामी चुनावों से पहले रोज़गार को एक मुख्य राजनीतिक सवाल बनाना तथा रोज़गार के लिए लड़ रहे सभी संगठनों और लोगों को एक मंच पर लाकर सरकार पर बड़ा दबाव बनाना है। इस मोर्चे की ओर से एक प्रदेशव्यापी अभियान की शुरुआत भी अगस्त में हो चुकी है। इस अभियान को नाम दिया गया है ‘यूपी मांगे रोज़गार’।

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एनकाउंटर और न्यायेतर हत्याएं: उत्तर प्रदेश पर YHRD की रिपोर्ट

इन मौतों और घटनाक्रमों पर संयुक्त राष्ट्र संघ ने भी संज्ञान लिया है। इनकी समीक्षा संयुक्त राष्ट्र के पांच विशेष दूतों (रेपोर्तार) ने की है। इन हत्याओं की निष्पक्ष जांच की मांग करने वाली कई याचिकाएं सुप्रीम कोर्ट और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (एनएचआरसी) में लंबित हैं।

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जाति और रसूख के हिसाब से न्याय और मुआवजे का ‘राम राज्य’!

पहले जिन्हें थाने से न्याय नहीं मिलता था उसे एसपी कार्यालय से उम्मीद होती थी। ब्लॉक से न्याय नहीं मिल पाता था तो तहसील और जिला अधिकारी कार्यालय से उम्मीद रहती थी लेकिन अब पीड़ितों के सामने इस बात का भी संकट है कि ऐसे अधिकारियों के रहते वह न्याय पाने के लिए जाएं तो कहां जाएं?

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तन मन जन: भारत में जनस्वास्थ्य और बच्चों की मौत

इसमें कोई शक नहीं कि विगत तीन दशकों में शिशु और मातृ मृत्यु दर में अपेक्षाकृत कमी आयी है, लेकिन स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता अब भी उतनी नहीं सुधर पायी है जितना दावा किया गया है। यह बात ध्यान देने की है कि नवजात शिशुओं के जीवन का पहला एक महीना माँ और बच्चे दोनों के लिए महत्वपूर्ण होता है। इसलिए देश की सेहत के लिए यह जरूरी है कि मातृ व शिशु स्वास्थ्य पर ईमानदारी से जिम्मेवारी तय कर ध्यान दिया जाए।

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