राज्य-विभाजन की ओर बढ़ते झारखंड के भाषा आंदोलन को अतीत के आईने में कैसे समझें
भाषा, क्षेत्रीयता, धर्म, संप्रदाय, जातिवाद, राजसत्ता के ऐसे हथियार हैं जिसका समय-समय पर प्रयोग करके सत्ताएं जनता की एकता को तोड़ती रहती हैं। महाराष्ट्र और गुजरात में क्षेत्रीयता के नाम पर दूसरे प्रान्तों के मजदूरों के साथ क्या हुआ था? इस घटना को बीते अभी बहुत साल नहीं हुए।
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