नाउम्मीदी के दौर में उम्मीद का दामन थामे रखने का संदेश देने वाले थे सौमित्र दा

रविन्द्र सदन से शुरू हुई उनकी अंतिम यात्रा में चाहने वालों की तीन किलोमीटर लंबी कतार और चिरनिद्रा में लीन सौमित्र दा को अजिक्ता बनर्जी की कविता “तुम एक जीवित नॉस्टल्जिया हो / तुम हारना नहीं जानते फेलूदा” भी उठा नहीं पायी।

Read More

स्मृतिशेष सौमित्र चटर्जी: वैचारिक भिन्नताओं से परे एक अभिनेता जिसके जाने का दुख सबको है

सौमित्र चटर्जी आखिरी सांस तक एक कम्‍युनिस्ट रहे, हालांकि आधिकारिक रूप से वे किसी पार्टी के कार्ड होल्डर अथवा सदस्य नहीं थे, किंतु वे अक्सर सीपीआइ के मुखपत्र ‘गणशक्ति’ में लिखा करते थे.

Read More