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नाउम्मीदी के दौर में उम्मीद का दामन थामे रखने का संदेश देने वाले थे सौमित्र दा
रविन्द्र सदन से शुरू हुई उनकी अंतिम यात्रा में चाहने वालों की तीन किलोमीटर लंबी कतार और चिरनिद्रा में लीन सौमित्र दा को अजिक्ता बनर्जी की कविता “तुम एक जीवित नॉस्टल्जिया हो / तुम हारना नहीं जानते फेलूदा” भी उठा नहीं पायी।
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