ये नाटो-नाटो क्या है! विश्व शांति के हक में और यूक्रेन युद्ध के खिलाफ AIPSO का प्रदर्शन

मालवा मिल पर प्रदर्शन को देखकर कुछ विजिलेंस वाले भी पहुंचे। उन्होंने नाटो-नाटो लिखे नारे को देखा और पूछने लगे कि यह नाटो-नाटो क्या है, हम तो यह सोचकर आए थे कि नोटा को लेकर कोई प्रदर्शन हो रहा है। जब शांति संगठन के सदस्य विजय दलाल ने उन्हें बताया कि किस तरह से नाटो का भंग होना विश्व शांति के लिए ज़रूरी है तो उन्होंने राहत की साँस ली और लौट गए।

Read More

रूस के राष्ट्रपति पुतिन को युद्ध के खिलाफ बनारस से एक खुला पत्र

1987 में आयी एक पुस्‍तक ‘गांधी ऑन वॉर एंड पीस’ में लेखक कहते हैं कि ‘’गांधी की दृष्टि में जंग समकालीन जगत की सबसे महत्‍वपूर्ण समस्‍या है।‘’ गांधी ‘’सही’’ और ‘’गलत’’ युद्ध के बीच भेद नहीं करते थे- उनकी नजर में हर जंग खराब और अन्‍यायपूर्ण थी। उनका दृढ़ मत था कि ‘’कुछ भी स्‍थायी हासिल करने के लिए युद्ध नैतिक रूप से वैध साधन नहीं हो सकता।‘’

Read More

समरकंद में प्रधानमंत्री का सम्बोधन दार्शनिक है या महत्त्वाकांक्षी?

समरकंद सम्मेलन के दौरान भारत-चीन और भारत-पाकिस्तान के राष्ट्र प्रमुखों के बीच द्विपक्षीय संवाद की आशा बहुत से प्रेक्षकों ने लगाई थी, किंतु स्वयं प्रधानमंत्री इनके प्रति अनिच्छुक नजर आए। चीन से सीमा विवाद और कश्मीर के मसले पर मोदी को वही भाषा बोलनी पड़ती है जो पुतिन यूक्रेन के विषय में बोल रहे हैं।

Read More