दक्षिणावर्त: इंसाफ की डगर पर ‘पहचान’ की पूंजी और ‘लिन्चिंग’ का खाता

अगर पुलिस का आधिकारिक बयान दिल्‍ली में सही माना जाना है तो फिर बाकी जगह भी उसका मान रखा जाना था। अगर नहीं, तो फिर दिल्‍ली में भी झगड़े वाली थ्‍योरी का कोई अर्थ नहीं है। क्‍या पुलिस की तफ़्तीश और बयान कोई सुविधा है? जिसे जब चाहे सामने रख दें और जब चाहे गलत करार दें?

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