रूस के राष्ट्रपति पुतिन को युद्ध के खिलाफ बनारस से एक खुला पत्र

1987 में आयी एक पुस्‍तक ‘गांधी ऑन वॉर एंड पीस’ में लेखक कहते हैं कि ‘’गांधी की दृष्टि में जंग समकालीन जगत की सबसे महत्‍वपूर्ण समस्‍या है।‘’ गांधी ‘’सही’’ और ‘’गलत’’ युद्ध के बीच भेद नहीं करते थे- उनकी नजर में हर जंग खराब और अन्‍यायपूर्ण थी। उनका दृढ़ मत था कि ‘’कुछ भी स्‍थायी हासिल करने के लिए युद्ध नैतिक रूप से वैध साधन नहीं हो सकता।‘’

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बेलारूस में लोकतंत्र बहाली की आड़ में कोई और खेल खेला जा रहा है!

इसमें कोई दो राय नहीं है कि लुकाशेंको को देर-सबेर जाना होगा. पुतिन को भी उनसे छुटकारा पाना होगा, लेकिन रूस ऐसा पश्चिम की शर्तों के मुताबिक नहीं करेगा और उसे ऐसा करना भी नहीं चाहिए. यह भी समझना चाहिए कि लुकाशेंको का बेलारूस यानुकोविच का यूक्रेन नहीं है. लुकाशेंको पुराने ढंग के तानाशाह हैं.

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डिक्टा-फिक्टा: बदलती विश्व व्यवस्था और पुतिन का आलेख

पश्चिमी देशों में इस लेख के महत्व पर चर्चा करने के बजाय पुतिन पर आरोपों का दौर शुरू हो गया है कि रूसी राष्ट्रपति इतिहास को फिर से लिखने का प्रयास कर रहे हैं

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