बात बोलेगी: खुलेगा किस तरह मज़मूं मेरे मक्तूब का या रब…

जिसके कहे पर देश चलने लगा था या उतना तो चलने ही लगा था जितनों की उँगलियों में देश की बागडोर सौंपने का माद्दा था, आज वे उँगलियां उस नीली स्याही को कोसती नज़र आ रही हैं जिसे वोट करते वक्‍त उन्‍होंने लगवाया था। ऐसी हर कम होती उंगली का एहसास इस विराट सत्ता को हो चुका है।

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राजपथ के रंगीन सपनों में खलल के बीच छवि बनाने का ‘संघठनात्‍मक’ अभियान

राजा और प्रजा के बीच उत्पन्न हुआ विश्वास का संकट उन रंगीन सपनों में ख़लल डाल सकता है जो नई दिल्ली में राष्ट्रपति भवन और इंडिया गेट के बीच राजपथ पर आकार ले रहे हैं। सारी परेशानी बस इसी बात की है।

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बात बोलेगी: हिंदू थक कर सो गया है तब तो ये हाल है, जागेगा तो क्या होगा डाक साब?

डॉ. साहब की चिंता समझ में आती है, लेकिन उसका निदान वो किससे मांग रहे हैं यह समझ नहीं आया, हालांकि उन्होंने देश का ध्यान इस महान तथ्य की तरफ दिलाया है कि यह देश दो-दो महान सत्ताओं के संरक्षण में मानवाधिकारों से सम्पन्न जम्हूरियत के मज़े लेता आ रहा है।

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मुसलमानों पर मोहन भागवत के बयान और दशहरे पर देवबंद दौरे की संभावना में छुपे सूत्र

से दारूल उलूम देवबन्द के सदर मुदर्रिस एवं जमीअत उलमा-ए-हिन्द के राष्ट्रीय अध्यक्ष हज़रत मौलाना सैयद अरशद मदनी अचानक संघ के दिल्ली स्थित कार्यालय पर पहुँच गए थे इसी तरह देवबन्द भी एक रोज़ सुर्ख़ियों में आए कि अचानक संघ प्रमुख मोहन भागवत पहुँचे देवबन्द और की मुलाक़ात देवबन्द दारूल उलूम देवबन्द के मोहतमिम सहित अन्य इस्लामिक विद्वानों से। आज के हिसाब से संघ प्रमुख मोहन भागवत का देवबन्द जाना बहुत बड़ी बात होगी।

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