जर्मनी में नाज़ी शासन और आइंस्टीन: कुज़नेत्सोव की पुस्तक से एक प्रसंग

वैज्ञानिकों की सूची में आइंस्टीन शीर्ष स्थान पर थे और उन्हें पता था कि किसी भी समय बगल के देश जर्मनी का कोई नाजी एजेंट मुसीबत बनकर आ सकता है और यह भी उन्हें पता था कि जर्मनी में रहने वाले उनके घनिष्ठ मित्र भी उनके प्रति चिंतित रहते हैं।

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छान घोंट के: रात राम सपने में आए…

यही सब सोचते हुए और राम को याद करते-करते मैं भी पूरे देश की तरह सो गया. तभी अचानक राम-राम कहते हुए राम जी मेरे सपने में आए. बोले, “कैसे हो ‘प्रच्छन बौद्ध’ रघुवंशी? हमें क्यों याद किया?”

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निरंकुशता के स्रोत, प्रतिरोध के संसाधन

निरंकुशता और जन-समर्थन विरोधाभासी लग सकते हैं; लेकिन आभास से वास्तविकता का निषेध नहीं हो जाता। बेशक यह समर्थन झूठ बोलकर हासिल किया जाता है।

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