घेरेबन्दी में पड़े देश और खेल के नये नियमों के बीच हम क्‍या कर सकते हैं?

भारत में हम, स्‍मृति और स्‍मृतिलोप के बीच लम्बे समय से लटके हुए हैं। फिलवक्त कोई बमबारी नहीं चल रही है, न हम अपने सामने मासूमों का बहता खून देख रहे हैं जो ‘इतिहास की गलतियों’ को ठीक करने के नाम पर बहाया जा रहा है, न ही सड़कों पर हथियारबन्द दस्ते मौजूद हैं जो ‘अधर्मियों’ और ‘अन्यों’ को ढूंढ रहे हैं।

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हिंदुत्ववादियों के विलाप के बावजूद नेपाल फिर ‘हिंदू राष्ट्र’ नहीं बन सका

  आनंद स्‍वरूप वर्मा  आखिरकार नेपाल के बहुप्रतीक्षित संविधान को अंतिम रूप देने का काम 13सितंबर से शुरू हो गया। 2008 में निर्वाचित पहली संविधान सभा को ही यह कार्य …

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