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भारतीय आलोचना का विद्रूप दोहरे अलगाव की देन है: मदन सोनी
गोष्ठी में दो दिनों तक इन मुद्दों पर जमकर चर्चा हुए। कई नई स्थापनाएं सामने आईं, कई समस्याग्रस्त पदों पर नई रोशनी पड़ी, अनेक मुद्दे अनसुलझे भी रहे। गोष्ठी का उद्घाटन वक्तव्य अशोक वाजपेयी ने दिया।
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