समाज में फैल रहे असहिष्णुता के ज़हर को कैसे रोकें? विरोधी विचारों का सह-अस्तित्व कैसे कायम हो?

सदियों से इस धरती पर – जिसे हम आज भारत कहते हैं – परस्पर विरोधी विचारों, मान्यताओं और दर्शनों का सहअस्तित्व था, उनके बीच गर्मजोशी से बहसें हुआ करती थीं और ये तमाम बहसें किन्हीं स्वीकार्य तौर-तरीकों के तहत की जाती थीं। मतलब, दूसरे पक्ष की बात को सुनना, उसके खण्डन के लिए तर्क देना और फिर अपनी बात रखना … यह बेहत सख़्ती से लेकिन खुद की और प्रतिपक्षी की गरिमा को बनाए रखते हुए किया जाता था।

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एक सज़ायाफ्ता बौद्धिक के हक़ में एक अमेरिकी कॉलेज का प्रतिरोध

भारत के उच्च अध्ययन संस्थानों की अपनी नैतिक शक्ति इतनी कमजोर रही है कि वे ऐसे मामले में चूं तक नहीं बोल पाते हैं जबकि ब्रॉकपोर्ट कॉलेज ने अपनी स्वायत्तता के पक्ष में राजनीतिज्ञों और शासक कौम का डट कर मुकाबला किया।

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ट्रम्प का मीडिया उद्यम और सूचना पर सत्ता व बाजार के संयुक्त नियंत्रण का भविष्य

महत्वाकांक्षी टेक कम्पनियाँ अगर तब के राष्ट्रपति ट्रम्प (बाइडन ने निर्वाचित हो जाने के बावजूद तब तक शपथ नहीं ली थी और ट्रम्प व्हाइट हाउस में ही थे) का अकाउंट बंद करने की हिम्मत दिखा सकती हैं तो उसके विपरीत यह आश्चर्य भी नहीं होना चाहिए कि अपने व्यावसायिक हितों के चलते सरकार के दबाव में वे हमारे यहां भी कुछ हज़ार या लाख लोगों के विचारों पर नियंत्रण के लिए समझौते कर लें।

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प्रेस की आज़ादी का सवाल अब पत्रकार बिरादरी की चौहद्दी के भीतर हल नहीं हो सकता

मीडिया, सत्ताधारी दल और सरकार के इस फ्यूज़न का परिणाम यह है कि प्रेस की स्वतंत्रता के संकट का समाधान अब प्रेस बिरादरी के आंतरिक उपचारों, उपायों और नियामकों द्वारा नहीं हो सकता। प्रेस की आजादी अब सम्पूर्ण परिवर्तन द्वारा ही संभव है। यह सत्ता परिवर्तन ही नहीं होगा बल्कि इलेक्टोरल ऑटोक्रेसी को डेमोक्रेसी की ओर ले जाने वाला विचारधारात्मक परिवर्तन होगा।

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कश्मीर में तीन पत्रकारों के खिलाफ शुरू हुई जांच पर CPJ का बयान

30 जनवरी को पुलिस ने दि कश्‍मीरवाला के रिपोर्टर यशराज शर्मा, दि कश्‍मीरियत के रिपोर्टर जुनैद और इन दोनों वेबसाइटों के संपादक फ़हद शाह व काज़ी शिबली के खिलाफ जांच शुरू की। आरोप है कि इन्‍होंने लोगों को अपनी खबरों से भड़काने का काम किया था।

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अभिव्यक्ति की आज़ादी पर सरकारी हमले के खिलाफ़ लेखक संगठनों का संयुक्त बयान

हम अभिव्यक्ति की आज़ादी को कुचलने के लिए प्रवर्तन निदेशालय के इस्तेमाल की निंदा करते हैं और ज़ोर देकर कहना चाहते हैं कि प्रवर्तन निदेशालय को अपना काम ज़रूर करना चाहिए, पर जाँच को उत्पीड़न का हथियार बनाना हर तरह से निंदनीय है।

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दिल्ली: किसान आंदोलन कवर कर रहे पत्रकारों के उत्पीड़न का मामला पहुंचा प्रेस काउंसिल

दिल्‍ली में पुलिस मुख्‍यालय के सामने 31 जनवरी को हुए पत्रकारों के विशाल विरोध प्रदर्शन के बाद अगला विरोध प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की संसदीय सीट बनारस पर आज आयोजित किया गया है। काशी पत्रकार संघ ने पत्रकारों के मुद्दे पर आज एक दिन के उपवास की घोषणा की है और एक संयुक्‍त संघर्ष समिति के गठन का फैसला लिया है।

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मनदीप पुनिया को मिली ज़मानत, पत्नी ने कहा- अभी 121 लोगों की लड़ाई बाकी है!

मनदीप की पत्‍नी लीला ने ज़मानत के आदेश पर खुशी जताते हुए कहा है कि दो दिन की मानसिक प्रताड़ना और बहुत सारे लोगों की मेहनत के बाद मनदीप को बेल मिली है, लेकिन अभी लड़ाई बाकी है।

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विश्व भर में 274 पत्रकार जेलों में बंद, इनमें भारत के चार पत्रकार शामिल: CPJ

रिपोर्ट में कश्मीर नैरेटर के पत्रकार आसिफ सुल्तान, स्‍तम्‍भकार आनंद तेलतुंबडे, इकनॉमिक एंड पॉलिटिकल वीकली के पूर्व संपादकीय सलाहकार गौतम नवलखा और अझिमुखम डॉट कॉम से जुड़े स्‍वतंत्र पत्रकार सिद्दीकी कप्पन का जिक्र किया गया है। इस रिपोर्ट में साथ ही बताया गया है कि इन पत्रकारों को कब और किस जुर्म में गिरफ्तार किया गया है।

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नागरिक स्‍वतंत्रता पर लॉकडाउन: COVID-19 के दौर में समाचार मीडिया पर PUCL की रिपोर्ट

लॉकडाउन के दौर में समाचार मीडिया की स्थिति पर अपनी 36 पन्‍ने की रिपोर्ट में पीयूसीएल ने पत्रकारों की छंटनी, वेतन कटौती से लेकर उनके ऊपर हुए मुकदमों का एक संक्षिप्‍त खाका प्रस्‍तुत किया है।

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