किसान आंदोलन: 26 मार्च को भारत बंद का आह्वान, 28 को जलायी जाएगी कृषि कानूनों की होली

बुधवार को कलकत्ता में एक विशाल रैली का आयोजन किया गया, जिसमें मुख्य नारा था “नो वोट टु बीजेपी”। इस रैली में मंजीत सिंह धनेर, हरनेक सिंह, रमिंदर सिंह पटियाला, सुरेश खोथ, मंजीत सिंह राय, अभिमन्यु कोहर, रंजीत राजू आदि किसान नेताओं ने भाग लिया। इस रैली में 10 हजार से अधिक छात्रों, युवाओं, किसानों, श्रमिकों व जागरूक नागरिकों ने भाग लिया।

Read More

सिंघु बॉर्डर पर चली तीन राउंड गोली, कोई नुकसान नहीं, चंडीगढ़ की कार से आए हमलावर फ़रार

इतवार को 102वें दिन जारी आंदोलन में 270 से अधिक शहीदों के लिए और उत्तराखंड के नवकिरण सिंह के नाम पर सिंघु बॉर्डर पर एक विशेष प्रार्थना सभा आयोजित की गई। कई किसान नेता उनकी प्रार्थना सभा में शामिल हुए।

Read More

100 दिन: अधिकारों और न्याय के संघर्ष में परिवर्तित होता किसान आंदोलन

दुनिया के अन्य विकसित देशों से इस आन्दोलन की मांगों, अधिकारों और न्याय के लिए समर्थन निरंतर मिल रहा है। भारत के अन्य राज्यों में महापंचायतों के विस्तार से जो जागरूकता समाज के विभिन्न वर्गों में उभर रही है वो न्याय व अधिकारों के संघर्ष के स्पष्ट संकेत हैं।

Read More

नत ग्रीव, धैर्य धन: एक रिपोर्टर की नज़र से देखें सौ दिन का किसान आंदोलन

किसान नेताओं का किसानों पर दबाव होने के बजाय अब किसानों का दबाव किसान नेताओं पर कायम हो चुका है। किसानों के बीच अब यह आम सहमति बन चुकी है कि वे कानून बिना वापस कराए आंदोलन से उठने वाले नहीं हैं। सरकार के खिलाफ अविश्वास की लकीर भी मोटी होती जा रही है। यह खाई आने वाले दिनों में सरकार पाट पाएगी, इसकी उम्मीद न के बराबर है।

Read More

किसान आंदोलन: 100 दिन पूरे होने पर आज काला दिवस, KMP एक्सप्रेस वे जाम

मध्यप्रदेश के छतरपुर में 87 दिनों से किसानों का धरना चल रहा है। पुलिस व प्रशासन ने अब तक न टेंट लगाने की अनुमति दी व न हीं कोई अन्य सहायता प्रदान की। यहां 3 व 4 मार्च को महापंचायत आयोजित की गई जिसके बाद टेंट लगाने की अनुमति दे दी गयी है। आने वाले समय में मध्यप्रदेश में और महापंचायत करने की योजना है।

Read More

किसान आंदोलन के समर्थन में भागलपुर में जुटान, सैद्धांतिक बहस के बजाय एकता बनाने पर ज़ोर

इस मौके पर अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि आज के दौर में सैद्धांतिक बहसों में उलझने के बजाय कार्यक्रमगत एकता की जरूरत है. वामपंथी, अंबेडकरवादी, समाजवादी व गांधीवादियों की बड़ी एकता की जरूरत है.

Read More

सौ दिन छूते किसान आंदोलन के बीच तीन कृषि कानूनों को फिर से समझने की एक कोशिश

यह एक संवैधानिक प्रश्न भी है। कारण है कि कृषि राज्य और केंद्र दोनों का विषय है और यह समवर्ती सूची में आता है। एपीएमसी कानून को पारित करना राज्यों का अधिकार है। इसलिए यह कानून तो असंवैधानिक भी हो सकता है।

Read More

राग दरबारी: चुनी हुई कोई भी सरकार कानून वापस नहीं लेती, इसीलिए सरकारों को हटाना पड़ता है!

यह पहली बार नहीं है कि सरकार आंदोलनकारियों की बातों के प्रति इतनी बेरूखी से पेश आ रही है। पिछले तीस वर्षों के भारतीय राजनीतिक इतिहास पर गौर करें, तो हम पाते हैं कि सरकार चाहे जो भी हो एक बार जब कोई बिल पास करवा लेती है या फिर वैसा कोई निर्णय ले लेती है तो उससे पीछे नहीं हटती है, भले ही जनता जो भी मांग करती हो या फिर विपक्षी दल उसका जिस रूप में भी विरोध कर रहे हों।

Read More

राष्ट्र एक व्यक्ति में बदल जाए, उससे पहले एक आंदोलन क्या राजनीतिक विपक्ष बन पाएगा?

यह बात अभी विपक्ष की समझ से परे है कि किसी एक बिंदु पर पहुँचकर अगर किसान आंदोलन किन्हीं कारणों से ख़त्म भी हो जाता है तो जो राजनीतिक शून्य उत्पन्न होगा उसे कौन और कैसे भरेगा। किसान राजनीतिक दलों की तरह पूर्णकालिक कार्यकर्ता तो नहीं ही हो सकते। और यह भी जग-ज़ाहिर है कि कृषि क़ानूनों के ख़िलाफ़ चल रहे आंदोलन को विपक्षी दलों का तो समर्थन प्राप्त है, किसानों का समर्थन किस दल के साथ है यह बिलकुल साफ़ नहीं है। टिकैत ने भी अपनी राजनीतिक महत्वाकांक्षाओं को सार्वजनिक तौर पर उजागर नहीं किया है।

Read More

डेढ़ सौ साल से चल रहे किसान आंदोलनों की समृद्ध परंपरा में याद रखने योग्य कुछ अहम पड़ाव

भारत के स्वाधीनता आंदोलन में जिन लोगों ने शीर्ष स्तर पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई उनमें आदिवासियों, जनजातियों और किसानों का अहम योगदान रहा है। कृषक आंदोलनों का इतिहास बहुत पुराना है और विश्व के सभी भागों में अलग-अलग समय पर किसानों ने कृषि नीति में परिवर्तन करने के लिये आंदोलन किये हैं ताकि उनकी दशा सुधर सके।

Read More