लॉकडाउन में फैलती मर्दवाद की महामारी से कैसे निपटें?
महिला आयोग के मुताबिक पहले चरण के लॉकडाउन के एक सप्ताह के भीतर ही उनके पास घरेलू हिंसा की कुल 527 शिकायतें दर्ज की गयी हैं
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महिला आयोग के मुताबिक पहले चरण के लॉकडाउन के एक सप्ताह के भीतर ही उनके पास घरेलू हिंसा की कुल 527 शिकायतें दर्ज की गयी हैं
Read Moreआदिवासी अपने बच्चों के साथ बिना खाना और पानी के आसमान के नीचे रहने को मजबूर हैं। इस घटना के विरोध में लोकशक्ति अभियान के प्रफुल्ल सामंतरा ने ओडिशा के मुख्य सचिव को पत्र लिख कर न्याय और पुनर्वसन की मांग की है।
Read Moreहर आने वाली सरकार ने श्रम कानूनों को लघु से लघुतर बनाया है. कार्यस्थलों पर सुरक्षा व्यवस्थाओं के अभाव में दुर्घटनाओं में मजदूरों का मरना बदस्तूर जारी है. बुनियादी सुविधाओं की मांग, हड़ताल, यूनियन, सब जैसे बीते जमाने की बातें हो गयीं. श्रमिक जीवन उतरोत्तर बदतर होता गया, लेकिन किसी सरकार या समाज के लिए यह कभी मुद्दा नहीं रहा.
Read Moreकोरोना वायरस संक्रमण ने रोग और महामारी के प्रति मानवीय समाज को नये रूप में जीने को बाध्य कर दिया है। अब तक किसी भी घातक महामारी या बीमारी के फैलने पर राज्य और पुलिस की इतनी केन्द्रित और सशक्त भूमिका आम लोगों ने नहीं देखी थी।
Read Moreये कौन सी जमात है, जो ‘फीलिंग लवली विद फैमिली’ हो जा रही है? ये कौन सी प्रजाति है जो लॉकडाउन में खाना खा रही है और खाने से पहले उसकी तस्वीर फेसबुक पर चिपका रही है, गोया उससे पहले शायद हवा पीकर जिंदा थी।
Read Moreऐसा स्पष्ट संकेत मिल रहा है कि विदेश में नौकरियां कर रहे लाखों भारतीय युवा अपनी नौकरियों से हाथ धो सकते हैं।
Read Moreहमारी सामाजिक-आर्थिक-राजनैतिक व्यवस्था में अगर इतनी बुनियादी इंसानियत होती तो इस लॉकडाउन में अनगिनत इंसानों और इंसानियत का दम वैसे नहीं घुटता जैसे इस वक़्त घुट रहा है।
Read Moreआजादी से पहले देश में हैजा, प्लेग, तावन, सूखा, बाढ़ जैसी आपदाएं अनेकों बार आई होंगी और लोग गांवों को छोड़कर दूसरे जगह जाकर बस गए होंगे और उसी के साथ गांव उजड़ते बसते रहते होंगे। अपने होश से आज तक, अपने पूर्वजों से या अगल-बगल के गांवों या कस्बों या शहरों में उपेक्षित भाव से किसी के बारे में प्रवासी या माइग्रेन्ट कहते नहीं सुना।
Read Moreनेशनल अलायंस आफ जर्नलिस्ट्स, दिल्ली यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स और बृहन्मुंबई यूनियन आफ जर्नलिस्ट्स ने 16 अप्रैल को भारत की सर्वोच्च अदालत में नौकरियों की छंटनी और वेतन कटौती को चुनौती देते हुए यह याचिका दायर की है।
Read Moreकोविड-19 लॉकडाउन ने बेंगलुरु के कई दिहाड़ी मज़दूरों की आय छीन ली है या उन्हें बेकार कर दिया है
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