लॉकडाउन की आड़ में ज़मीन अधिग्रहण की कोशिश के खिलाफ़ गरमाये बीकानेर के खेत, तनाव

बीकानेर, लूणकरणसर, नोखा तहसील के जिन 41 गांवों के किसानो के खेत से होकर यह राष्ट्रीय राजमार्ग गुजर रहा है उन किसानों से सरकार मामूली डीएलसी रेट पर जमीन का अधिग्रहण कर रही है!

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मई के दूसरे हफ्ते तक एक-चौथाई शहरी आबादी बेरोज़गार, गांव भी होड़ में

अप्रैल के महीने के लिए बेरोजगारी की दर मार्च के अंत में 8.74% से 23.52% तक बढ़ गई, जो कोरोनावायरस के कारण राष्ट्रीय लॉकडाउन में केवल दो सप्ताह थी।

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लॉकडाउन गवाही दे रहा है कि व्यवस्था चलाने वाले मजदूरों की जान कितनी सस्ती है

नाकारा सरकार और अमानवीय प्रशासनिक अमले के लिए मजदूर अब भी सिर्फ एक संख्या ही रहेंगे। इसके बाद भी वह उनके लिए कुछ करने वाले नहीं हैं।

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सीमाएँ खोलना, कुछ रेलगाड़ियाँ शुरू करना भी अपर्याप्त और अर्धसफल!

राज्यों के बीच की सीमाएँ खुलने के बावजूद कई श्रमिक, हर दिन सैकड़ों की तादाद में पैदल ही सीमा पार कर रहे हैं।

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COVID-19: भूख का समंदर और बदलती दुनिया के संकेत

देश की सभी सरकारों को चाहिए कि वे देश के सभी इंजन व इसके थक चुके कलपुर्जे, निजी हस्पतालों का फ़ौरन राष्ट्रीयकरण कर इस राष्ट्रीय आपदा के समय हुकूमत चुनाव प्रचार स्टाइल से बचकर टीम इण्डिया बनकर काम करें

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मजदूरों के बाद अब कॉरपोरेट, मध्यवर्ग और पैसेवाले भी कहीं सड़क पर न उतर आवें!

अगर लॉकडाउन ही अंतिम सच बनता जाएगा तो खाए-पीए अघाए मिडिल क्लास से लेकर हाइ नेटवर्थ इंडीविजुअल्स से लेकर कॉरपोरेट-उद्योगपति भी सड़कों पर उतर आएंगे

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अगर लॉकडाउन नहीं होता तो क्या ऋषि कपूर आज ज़िंदा होते? उनकी ट्विटर टाइमलाइन कुछ कहती है…

जनता कर्फ्यू से लेकर रामनवमी के बीच गुजरे 10 दिन के लॉकडाउन में हम देखते हैं कि काफी तेज़ी से ऋषि कपूर की मानसिक स्थिति बदल रही है। एक जद्दोजेहद दिखलायी देती है, विचार प्रक्रिया अस्पष्ट है और सबके कल्याण के लिए वे बंदिशाें को और मज़बूत करने के हक में भी हैें।

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पत्रकारों की छंटनी और वेतन कटौती पर सुप्रीम कोर्ट में PIL मंजूर, केंद्र सहित INS-NBA को नोटिस

इस संयुक्त याचिका में कम से कम नौ मामलों का उदाहरण दिया गया है जिनमें वेतन कटौती, अनिश्चित काल तक कर्मचारियों को छुट्टी पर भेजे जाने और नौकरी से निकाले जाने के मामले शामिल हैं।

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