विजय समारोहों के बीच किसान आंदोलन की चिंताएं

प्रधानमंत्री द्वारा तीन कानूनों को निरस्त करने के निर्णय की घोषणा करने के लिए अपनाया गया तरीका भी उनके जनविरोधी फासीवादी मानसिक बनावट का एक और सबूत साबित हुआ है।

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राजनैतिक बंदियों की रिहाई तो किसान आंदोलन के माँगपत्र का हिस्सा है, फिर हल्ला किस बात का?

लेखकों, कलाकारों, बुद्धिजीवियों और सामाजिक कार्यकर्ताओं की रिहाई का एजेंडा कोई छुपा हुआ नहीं था जो अचानक कल सामने आ गया। किसान यूनियनों ने सरकार को जो सात सूत्रीय मांग पत्र सौंपा था, उनमें शामिल एक मांग की तहत यह किया गया। यह बात पहले से पर्याप्‍त सार्वजनिक है।

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