गाहे-बगाहे: मशीनों के आगोश में बुनकरी है, तबाही के पहलू में कारीगरी है!

लॉकडाउन ने बुनकरों को भुखमरी और मौत के कगार पर ला खड़ा किया है. काम चलने का कोई आसार नहीं है. ऊपर से उत्तर प्रदेश सरकार ने बिजली का दाम बहुत ज्यादा बढा दिया है. पहले जहाँ हज़ार-डेढ़ हज़ार रुपये बिजली का बिल आता था वहीं अब मनमाने ढंग से कहीं तीस हज़ार तो कहीं चालीस हज़ार आ रहा है. कहीं कोई सुनवाई नहीं है.

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छान घोंट के: लॉकडाउन से बदरंग हुए बनारस में जन पत्रकारिता का एक साहसी दस्तावेज़

लॉकडाउन के दौरान इसी जरूरत और ज़मीनी हकीकत को समझाने वाली वरिष्ठ पत्रकार विजय विनीत की हाल ही में प्रकाशित किताब है “बनारस लॉकडाउन”, जो बताती है कि लॉकडाउन के 75 दिनों की जिंदगी क्या रही।

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जब पीड़ित ने अपने पक्ष में खबर लिखने वाले पत्रकार पर ही करवा दी FIR! सुप्रिया शर्मा का केस

बनारस में भुखमरी के शिकार मुसहरों से जुड़े अंकरी काण्ड की धूल अभी बैठ ही रही थी कि एक और पत्रकार के ऊपर मुकदमा लाद दिया गया है. दिलचस्प है …

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“काशी में शंकराचार्य परम्परा और सनातन धर्म को खण्डित करने का षड्यन्त्र”!

काशी के सरस्वती फाटक पर स्थित आदि शंकराचार्य द्वारा स्थापित देवी सरस्वती के मन्दिर को तोड़ने के खिलाफ़ जारी वक्तव्य

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बनारस में कचौड़ी-जलेबी और मुंबई में ‘गांधी कथा’ के बहाने इरफ़ान की याद

अंत में इस समझ को लेकर कि हमें गांधी की ओर लौटना होगा, हमने इरफ़ान से जल्द मिलने के वादे के साथ विदा ली। मुझे क्या पता था कि ये अंतिम विदाई साबित होगी।

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भुखमरी के कगार पर बनारस के बुनकर, करघा चालू करने के लिए PM को भेजा गया पत्र

सबसे बुरी स्थिति उन इलाकों की है जिन्हें कारोना के मरीज़ पाए जाने के चक्कर में सील किया गया है। इसके चलते लोहता जैसे बुनकर बहुल क्षेत्रों में भुखमरी के हालात पैदा हो गए हैं।

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