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बंगाल की मिठास के आगे हारेगी कड़वाहट की राजनीति!
सुर और स्वाद में मिठास की ज़मीन है बंगाल। चाहे वो गुरूदेव के गीत और कविताएं हों, हवा सा मुक्त बाउल गीत हो या फिर संथाली गीत-संगीत, सारे के सारे जीवन में मिठास घोलते हैं। इनके छंद-बंद में चाहे जितनी विभिन्नताएं हों पर इनके मूल में मानव प्रेम और मुक्ति की कामना है। मुक्ति- घृणा, नफरत और वैमनस्य से।
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