बद्री को अकादमी: दूसरे के द्वैत को देखने वाले स्वयं का द्वैत देखने में अक्षम हैं!

जो लोग अपनी वैचारिकता-प्रतिबद्धता को लेकर आत्ममुग्ध हैं उन्हें तो प्रसन्न होना चाहिए कि उन्हें इस भगवा सरकार के पुरस्कार से वंचित करके उनके सम्मान की रक्षा की गई, लेकिन अफ़सोस कि वे लोग इस भगवा दौर में क्रांतिकारियों को पुरस्कृत होने की उम्मीद बांधे बैठे थे।

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राग दरबारी: क्या एक समाजशास्त्री की व्याख्या हमेशा निष्पक्ष होती है?

पिछले हफ्ते समाजशास्त्री प्रोफेसर बद्री नारायण ने बीबीसी हिन्दी की वेबसाइट पर एक लेख लिखा जिसका शीर्षक था- ‘कोरोना वायरस ने भारत से जाति की दीवार को ढहा दिया है?’ …

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