बिहार में चुनावी मौसम है। लगातार पैकेज की घोषणाएं हो रही हैं। इसी के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दावा किया है कि वर्ष 2020 के अंत तक बिहार के सभी घरों में नल से पानी पहुंच जाएगा। हम लोग अभी सितंबर के मध्य में बैठे हैं और इस वर्ष के मात्र साढे तीन महीने बचे हैं। क्या इन साढे तीन महीनों में सचमुच बिहार के “हर घर, नल से जल” पहुंच सकता है या फिर ये एक चुनावी जुमला है?
इसे थोड़ा समझने की कोशिश करते हैं। इसके लिए हमें बिहार में पीने के पानी की स्थिति और चुनौतियों को समझना पड़ेगा।
बिहार में पीने के पानी की उपलब्धता
जल जीवन मिशन की वेबसाइट के डैशबोर्ड पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार बिहार में कुल 1,83,53,898 परिवार हैं जिनमें से 97,43,459 घरों तक नल से पानी पहुंचा दिया गया है। यानि वेबसाइट के अनुसार बिहार के 53 प्रतिशत घरों तक नल से पानी पहुंच गया है। सरकार ऐसा दावा कर रही है।
अब भी बिहार के ऐसे 16 ज़िले हैं जहां पानी की उपलब्धता का आंकड़ा 50 प्रतिशत से नीचे है। इनमें 6 ज़िले ऐसे हैं जहां ये आंकड़ा 40 प्रतिशत से नीचे है। चार ज़िले ऐसे हैं जहां ये आंकड़ा 30 प्रतिशत से नीचे है। खगरिया और सुपौल में अभी 29 प्रतिशत घरों तक ही पीने का पानी पहुंचा है और कटिहार एवं किशनगंज मे ये आंकड़ा 28 प्रतिशत है। अररिया में स्थिति और भी ख़राब है यानि मात्र 18 प्रतिशत घरों तक नल से जल पहुंच पाया है।
क्या 53 प्रतिशत घरों तक पानी की पहुंच का आंकड़ा सवालों से बरी है?
वेबसाइट पर उपलब्ध आंकड़ों के हिसाब से 1 अप्रैल 2019 तक मात्र 1.72 प्रतिशत घरों तक ही पीने का पानी पहुंच पाया था। 14 सितंबर 2020 को ये आंकड़ा 53 प्रतिशत हो गया है। यानि बिहार ने पिछले 18 महीने में ये लक्ष्य हासिल किया है हालांकि ऐसा मानना भी शायद सही नहीं है क्योंकि 27 नवंबर 2019 को बिज़नेस लाइन की वेबसाइट पर छपी इस रिपोर्ट पर नज़र डालिए। रिपोर्ट में लिखा है कि बिहार में जल जीवन मिशन के अनुसार मात्र 2 प्रतिशत घरों तक ही पीने का पानी पहुंच पाया है।
यानि नवंबर तक ये आंकड़ा मात्र 2 प्रतिशत था। मतलब बिहार सरकार ने मात्र साढे 9 महीनों में आधे बिहार के घरों तक नल का पानी पहुंचा दिया है। स्मरण रहे, इसी दौरान मार्च के अंतिम सप्ताह से लेकर मई-जून तक लॉकडाउन भी चला है। तो इस आंकड़े पर सवाल उठना वाज़िब बात है। अगर सचमुच ज़मीनी स्तर पर ऐसा हुआ है तो बिहार सरकार तारीफ के क़ाबिल है लेकिन अब भी तकरीबन आधा बिहार बचा हुआ है।
क्या सरकार आने वाले साढ़े तीन महीने में बिहार के हर घर तक नल से पानी पहुंचा पाएगी? ऐसा तभी हो सकता है जब प्रतिदिन 82,004 घरों में नल लगाया जाएगा यानि हर घंटे 3416 नल लगाने होंगे। इसी दौरान चुनाव भी होना है।
पानी की गुणवत्ता का सवाल
बात सिर्फ उपलब्धता तक ही सीमित नहीं है बल्कि पानी की गुणवत्ता भी एक बड़ी चुनौती है। बिहार सरकार, पब्लिक हेल्थ इंजीनियरिंग विभाग के अनुसार बिहार के 13 ज़िलों में पानी में आर्सनिक पाया गया है। 11 ज़िलों में पानी फ्लोराइड युक्त है। 9 ज़िलों में पानी में आयरन पाया गया है। विभाग की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार बिहार के 38 ज़िलों में से 33 ज़िलों में पानी की गुणवत्ता ठीक नहीं है। गौरतलब है कि दूषित पानी कई भयंकर बीमारियों को जन्म देता है।
इसी ठोस स्थिति के बीच नीतीश कुमार दावा कर रहे हैं कि वो आने वाले साढ़े तीन महीनों में बिहार के हर घर तक नल से जल पहुंचा देंगे। अब देखना ये होगा कि ये मात्र चुनावी जुमला ही है या नीतीश कुमार कोई करिश्मा करेंगे? क्या सिर्फ आंकड़ें दुरुस्त होंगे या सचमुच बिहार के हर घर को पीने का साफ और स्वच्छ पानी अपनी चौखट पर नल से मिल पाएगा?