खिलौने के गुब्बारे सी ठहरी जि़ंदगी: शिंबोर्स्का की एक कविता
विस्साव शिंबोर्स्का (2 जुलाई 1923-1 फरवरी 2012) मौत की घड़ी में स्मृतियों का आवाहन करने के बजाय मैं फरमान दूंगी ग़ुम हो चुकी चीज़ों की वापसी का। खिड़कियों …
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विस्साव शिंबोर्स्का (2 जुलाई 1923-1 फरवरी 2012) मौत की घड़ी में स्मृतियों का आवाहन करने के बजाय मैं फरमान दूंगी ग़ुम हो चुकी चीज़ों की वापसी का। खिड़कियों …
Read Moreआजकल फ्रांस के साथ हुए राफेल सौदे का बडा हल्ला है, लेकिन दस महीने पहले हमारे प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को लिखी गई एक चिट्ठी बताती है कि राफेल सौदा कैसे …
Read Moreसंबोधनों पर न जाएं, जो बात कही जा रही है उसमें वज़न है। गणतंत्र दिवस पर इस किस्म के प्रेरणादायक भाषण सुनना बहुत ज़रूरी है। शॉट फिल्म ‘गुलाल’ से है। …
Read Moreअरुंधती रॉय ये मकान है या घर? नए हिंदुस्तान का कोई तीर्थ है या फिर प्रेतों के रहने का गोदाम?मुंबई के आल्टामाउंट रोड पर जब से एंटिला बना है, अपने …
Read Moreपिछले साल की तरह इस साल भी जयपुर लिटरेचर फेस्टिवल के आयोजकों और प्रतिभागियों ने बरबाद हो रहे पर्यावरण, मानवाधिकारों के घिनौने उल्लंघन और इस आयोजन के कई प्रायोजकों द्वारा …
Read Moreसरकारी एकाधिकार का बुलंद झंडा अगली सुबह ठीक नौ बजे तैयार होकर हम निकल पड़े लखपत की ओर। सोचा सुबह की पेटपूजा रास्ते में कहीं कर लेंगे। नखतराणा से पहले …
Read Moreइसी पाइप ने हमें रण की झुलसाती धूप से बचाया तो साहब, रण के बीच चटक दुपहरी में एक पाइपलाइन के भीतर दिन बिताने के बाद हमने शाम का जो …
Read Moreबिन छाछ सब सून … तो अपने सफ़र की पहली रात हमने लालजी के परिवार के साथ गुज़ारी। रात के खाने में लालजी की घरवाली ने बाजरे की रोटी, डोकरा …
Read More… तो लालजी के घर चाय पीने के बाद हम जान गए कि कच्छ में नमक को मीठू कहते हैं। हमारे अहमदाबाद के एक पत्रकार मित्र जिन्होंने दो दिन बाद …
Read Moreगुजरात की सरकार पिछले कई दिनों से एक विज्ञापन कर रही है जिसमें परदे पर अमिताभ बच्चन कहते हैं, ”जिसने कच्छ नहीं देखा, उसने कुछ नहीं देखा”। आप अमिताभ बच्चन …
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