ज़ॉम्‍बी  हर तरफ आवाज़ें हैं आवाज़ें ही आवाज़ें ये साल बहुत बुरा रहने वाला है। क्‍या लोग अब तक गूंगे थे या हम ही बहरे? 16 दिसंबर या 21 दिसंबर …

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टोबा टेक सिंह इत्‍थे है!

अभिषेक श्रीवास्‍तव  प्राथमिक की किताबों में हमें बताया गया है कि भारत एक ‘गणराज्‍य’ है। गणराज्‍य का बुनियादी अर्थ ग्रीक दार्शनिक सिसेरो के मुताबिक वह राज्‍य है जहां की सरकार …

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उदय प्रकाश और आनंद स्‍वरूप वर्मा की टिप्‍पणी: संदर्भ अरविन्‍द गौड़

(”समकालीन रंगमंच” पत्रिका के हंगामाखेज़ लोकार्पण के बाद इसके संपादक राजेश चंद्र के दो पत्रों (एक एनएसडी निदेशक के नाम और दूसरा मित्रों के, दोनों जनपथ पर शाया) से शुरू …

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”पॉलिटिकली करेक्‍ट” अरविन्‍द गौड़ ने नैतिकता की मिट्टी पलीद कर दी!

राजेश चंद्र  मित्रो, 15वें भारत रंग महोत्सव के अवसर पर राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय के परिसर में विगत 14 जनवरी को आयोजित “समकालीन रंगमंच” पत्रिका के लोकार्पण समारोह में आदरणीय रंगकर्मी …

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फ़ैज़ाबाद से एक अपील…

शाह आलम  अयोध्या/फ़ैज़ाबाद के हिंदी प्रिंट मीडिया का एक बड़ा हिस्सा अपनी पेशागत नैतिकताओं के विरुद्ध निहायत गैरजिम्मेदाराना, पक्षपाती, शरारती, षडयंत्रकारी, सांप्रदायिक और जनविरोधी हो चला है। वह अपनी विरासतों/नीतिगत मानदंडों का खुल्लमखुल्ला …

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रंगकर्मी बहेलिये और एक गरीब का सपना: संदर्भ NSD, मकर संक्रान्ति

राजेश चंद्र  15वें भारत रंग महोत्सव के दौरान विगत 14 जनवरी 2013 को राष्ट्रीय नाट्य विद्यालय परिसर में भारतीय रंगमंच पर केन्द्रित त्रैमासिक पत्रिका “समकालीन रंगमंच” के लोकार्पण समारोह में …

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