दो दूनी चार, 1600 से ज़्यादा की क़तार: मारे गए शिक्षकों के नाम बच्चों का एक सबक!

हर बार जब वह गिनती में लगे होते, तो खोई हुई आत्माओं की इस अंतहीन सूची में कुछ और नाम जुड़ चुके होते. उन्होंने सोचा कि अगर वह इन भटकती आत्माओं को पाताललोक में अपने ऑफ़िस के बाहर क़तार में खड़ा कर दें, तो यह लाइन सीधा प्रयागराज तक पहुंच जाती.

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