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धर्मनिर्पेक्षता: किसी समाज के सभ्य और विकसित होने की पूर्व-शर्त
भारत में भी जो विकास नजर आ रहा है वह उसके संविधान के धर्मनिर्पेक्ष होने का नतीजा है। अगर हमने धर्मनिर्पेक्षता को छोड़ दिया या उसकी रक्षा नहीं की तो भारत को पाकिस्तान बनने में देर नहीं लगेगी।
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