
कठघरे में मिलॉर्ड? न्यायपालिका से न्यायिक जवाबदेही का अभियान
अनेक संगठनों व व्यक्तियों के द्वारा गठित यह राष्ट्रीय मंच इस पहल के माध्यम से समस्त न्यायपालिका से न्यायिक जवाबदेही को लेकर एक दीर्घकालिक अभियान की शुरुआत कर रहा है।
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अनेक संगठनों व व्यक्तियों के द्वारा गठित यह राष्ट्रीय मंच इस पहल के माध्यम से समस्त न्यायपालिका से न्यायिक जवाबदेही को लेकर एक दीर्घकालिक अभियान की शुरुआत कर रहा है।
Read Moreदशकों से लैंगिक न्यायशास्त्र विकसित करने में न्यायविदों, महिलाओं और महिला संगठनों द्वारा की गई प्रगति को यह फैसला अदृश्य बना देता है
Read Moreहम दोनों पक्षों से अपील करते हैं कि वे हर प्रकार की हिंसा को तत्काल प्रभाव से रोकने के लिए युद्धविराम को स्वीकार करें और इसकी औपचारिक घोषणा करें। अब किसी भी पक्ष की ओर से कोई शत्रुतापूर्ण कार्रवाई नहीं होनी चाहिए—चाहे वह सैन्य अभियान, गैर-न्यायिक हत्याएं और मुठभेड़ हों, आईईडी विस्फोट और नागरिकों की हत्या हो या किसी भी प्रकार की हिंसा।
Read Moreआज़मगढ़ नागरिक समाज ने राहुल सांकृत्यायन के ननिहाल पन्दहा जहां उनके नाम से प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय है वहां की खस्ताहाल सड़क बनवाने की मांग की। जिससे राहुल को खोजते हुए देश दुनिया के लोग आसानी से पहुंच सकें।
Read Moreमारुति सुजुकी के अस्थायी श्रमिकों ने पिछले तीन दिनों में मानेसर और गुरुग्राम में पुलिस कार्रवाई के बावजूद असाधारण साहस और संकल्प दिखाया और पीछे हटने से साफ इनकार कर दिया। प्रबंधन और पुलिस-प्रशासन लंबे समय से चल रही इस कार्रवाई के बावजूद श्रमिकों को डराने और उनके संघर्ष को रोकने में सफल नहीं हो पा रहे हैं।
Read Moreमसौदा नीति में न्यायसंगत, टिकाऊ और समावेशी सार्वजनिक परिवहन प्रणाली का विस्तार से उल्लेख किया गया है, जिससे परिवहन सभी के लिए अधिक किफायती और सुलभ बन सके। इसमें “क्लाइमेट टिकट्स” जैसे प्रमुख सुझाव शामिल हैं, जो मुफ्त या रियायती सार्वजनिक परिवहन विकल्प प्रदान करते हैं।
Read Moreमांगपत्र 9 जनवरी, 2025 को कंपनी प्रबंधन को भी सौंपा गया। श्रम विभाग ने 31 जनवरी, 2025 को कंपनी प्रबंधन और संघ के साथ त्रिपक्षीय बैठक निर्धारित की है। प्रदर्शन में हरियाणा के मुख्यमंत्री को एक ज्ञापन भी सौंपा गया और 30 जनवरी को आईएमटी मानेसर में बड़े पैमाने पर लामबंदी और मज़दूर मार्च की घोषणा की। विभिन्न राज्यों के अस्थाई मज़दूरों और मारुति से निकाले गए मज़दूरों के प्रतिनिधियों की एक कार्यसमिति इस आंदोलन का नेतृत्व कर रही है।
Read Moreपैराग्राफ 185-188 में की गई टिप्पणियां कानूनी सहायता दिलवाने, तथ्यान्वेषी दौरों और आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाने के मानवाधिकार संगठनों के काम को अवैध ठहराने का प्रयास करतो हैं। उपरोक्त सभी महत्वपूर्ण संवैधानिक उपकरण हैं जिनका उपयोग स्वतंत्र संगठन सही तथ्यों की जांच करने, जवाबदेही तय करने और सांप्रदायिक दंगों के पीड़ितों के लिए सहायता सुनिश्चित करने के लिए करते आए हैं। संगठनों पर आक्षेप लगाकर माननीय न्यायालय राज्य के खिलाफ काम करने वाले “राष्ट्र-विरोधी” हितों के निराधार आख्यान का सहारा ले रहा है।
Read Moreपीयूसीएल ये मांग करता है कि ऐसे गलत ढंग से गिरफ्तार करने और कानून के दुरुपयोग पर माननीय इलाहाबाद उच्च न्यायालय स्वतः संज्ञान ले और जांच एजेंसियों पर ज़रूरी अंकुश लगाए और साथ ही कुछ कड़े दिशानिर्देश जारी करे जिससे इस प्रकार से मानवाधिकारों का हनन ना हो।
Read Moreसावित्रीबाई ज्योतिबा फुले ने जिन मनुवादी, रुढ़िवादी ताकतों के खिलाफ आजीवन संघर्ष किया आज वही ताकतें सत्ता में मौजूद हैं। आज देश में भाजपा की केंद्रीय व राज्य सरकारें शिक्षा का व्यापरीकरण, निजीकरण साम्प्रदायीकरण कर रही हैं। वैज्ञानिक शिक्षा की जगह पर रूढ़िवादी विषयों को पाठ्यक्रम में शामिल किया जा रहा है।
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