रेणु की जयंती पर ‘मैला आँचल’ को पढ़ते हुए…

बाकी लोगों की तरह मैं केवल डॉक्टर प्रशांत और कमला को इस पुस्तक के नायक-नायिका के तौर पर नहीं देखती। मुझे लगता है कि इस पुस्तक का कोई एक नायक अथवा नायिका नहीं है। इसमें 250 से अधिक पात्र अपनी अपनी दुनिया के नायक हैं।

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आजादी का भुला दिया गया नायक ‘मास्टर दा’

भारत की आज़ादी के लिए जितने लोगों ने बलिदान दिया उन्हें गिना जाना या सबके नाम याद रख पाना भले कठिन प्रतीत होता हो पर सूर्य सेन या मास्टर दा (सुर्जो सेन), कल्पना दत्ता, प्रीतिलता वाडेकर जैसे लोगों के नाम जिन्होंने भारत की आज़ादी का नेतृत्व किया, वर्तमान में ये आज़ादी के नायक-नायिकाओं की सूची में संभवत: ढूंढने पर ही मिल पाएं।

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रामत्व की तलाश में नैतिक पतन को अभिशप्त नायक: मिथिला और रूस के लोक से दो छवियाँ

मेहनतकश लोगों एक ऐसा वर्ग जो समाज में वर्गहीन होता है, दुनिया के सभी क्षेत्रों में इनकी स्थिति कमोबेश ऐसी ही रही है। अच्छा जीवन कैसे जिया जाए सोचते-सोचते ये लोग कब नैतिक पतन और नैतिक भ्रष्टाचार के शिकार होते चले जाते हैं इन्हें भी नहीं पता चलता।

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