प्रवासी भारतीयों के संगठनों ने लिखी बिडेन को चिट्ठी, RSS-BJP से किया आगाह


अमेरिका के नये राष्‍ट्रपति बनने जा रहे जो बिडेन को अमेरिका के कई प्रवासी भारतीय संगठनों ने एक पत्र लिखकर कट्टर हिंदुत्‍ववादी ताकतों के प्रति आगाह किया है। पत्र का सार ये है कि बिडेन अपने अधिकारियों को नियुक्‍त करते वक्‍त यह ध्‍यान रखें कि कहीं उनका भारत के कट्टर धार्मिक संगठनों से कोई रिश्‍ता तो नहीं है।

बिडेन को उन्‍हीं के एजेंडा फॉर दि इंडियन-अमेरिकन कम्‍युनिटी की याद दिलाते हुए पत्र कहता है कि भारत में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के राज में सेकुलरवाद, बहुलतावाद और सभी समुदायों की प्रतिष्‍ठा खतरे में पड़ी हुई है जबकि ये वे मूल्‍य हैं जिन्‍होंने आधुनिक भारत को गढ़ा है। मोदी और उनकी भारतीय जनता पार्टी ने भारत की न्‍यायपालिका, स्‍वतंत्र मीडिया ओर यहां तक कि शिक्षा तंत्र को दक्षिणपंथी जातीय व अतिराष्‍ट्रवादी विचारधारा की सेवा में लगा दिया है जहां दलितों, मुसलमानों और वाम/उदार कार्यकर्ताओं पर हमले हुए हैं, उन्‍हें कलुषित किया गया है जिसके चलते वे एक स्‍थायी असुरक्षा में घिर गये हैं।

भारतीय जनता पार्टी और राष्‍ट्रीय स्‍वयंसेवक संघ के रिश्‍तों की ऐतिहासिकता को बताते हुए इस पत्र में मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद से हुए मानवाधिकार उल्‍लंघनों को गिनवाया गया है। इस संदर्भ में पत्र सोनाली शाह और अमित जानी जैसे व्‍यक्तियों के नाम गिनवाता है जिन्‍होंने हिंदू संगठनों के पक्ष में बयान दिए और वे डेमोक्रेटिक पार्टी के सदस्‍य हैं। ऐसे व्‍यक्तियों से बिडेन को दूर रहने को कहा गया है।

पत्र में कश्‍मीर का भी जिक्र है। इस संदर्भ में हाउस बिल H.Res.745 का जिक्र करते हुए पत्र कहता है कि बिडेन के प्रशासन के साथ संलग्‍न अमेरिका मे रहने वाले सभी प्रवासी भारतीय इस बिल का समर्थन करें जिसमें जम्‍मू और कश्‍मीर में सभी पाबंदियों को हटाने की बात की गयी है।

पत्र कहता है कि भारत में बढ़ते एकाधिकारी शासन के मद्देनजर अमेरिका की सरकार के लिए जरूरी हो गया है कि वह भारत में हो रहे मानवाधिकार उल्‍लंघनों पर बोले और उनके खिलाफ कार्रवाई करे। पत्र लिखने वाले करीब डेढ़ दर्जन संगठन सभी हिंदुत्‍व विरोधी हैं और अमेरिका से संचालित होते हैं।

पूरा पत्र नीचे प़ढ़ा जा सकता है:

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